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अजय माकन का बयान, कहा- विधायक दल की बैठक में विधायकों का नहीं आना अनुशासनहीनता

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द एंगल

जयपुर.

राजस्थान में नए सीएम के चयन पर घमासान जारी है। वहीं दिल्ली जाने से पहले कांग्रेस प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने मीडिया से कहा कि सीएम के कहने और उनकी सुविधा अनुसार विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी। उसमें विधायकों का नहीं आना अनुशासनहीनता है।

दिल्ली लौटकर पूरी रिपोर्ट आलाकमान को सौंपेंगे- माकन

अजय माकन ने विधायकों से साफ कहा कि आप जो भी बात कहेंगे उसे हम दिल्ली जाकर बताएंगे। कांग्रेस अध्यक्ष सभी की बात सुनकर हर एक से वन टू वन बात करने को तैयार हैं। उसके बाद शांति धारीवाल, डॉ. जोशी और प्रताप खाचरियावास तीनों विधायक उनके नुमाइंदे के रूप में हमारे पास आए और उन्होंने 3 शर्तें रखीं। सबसे पहले विधायकों ने कहा कि बेशक अगर आपको प्रस्ताव पास करना है कांग्रेस अध्यक्ष पर छोड़ने का, तो बेशक करें, लेकिन उसका फैसला 19 अक्टूबर के बाद होना चाहिए।

ऐसे में माकन ने कहा कि अगर अशोक गहलोत खुद कह चुके हैं कि वह कांग्रेस अध्यक्ष के उम्मीदवार हैं। अभी वह राजस्थान में मुख्यमंत्री पद पर अध्यक्ष को फैसला लेने का प्रस्ताव पारित होगा, तो अगर गहलोत अध्यक्ष बनते हैं, तो वे अपने ही प्रस्ताव पर खुद ही बतौर अध्यक्ष फैसला लेंगे। इससे बड़ा कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट कुछ नहीं होगा। इसलिए आप इसको मत करिए।

विधायकों ने वन टू वन बात करने से किया इनकार

माकन के कहने पर जब विधायकों ने कहा कि हम वन टू वन बात नहीं बल्कि ग्रुप्स में आएंगे। इसे लेकर माकने कहा कि कांग्रेस की हमेशा से प्रथा रही है कि हम वन टू वन बात करते हैं। ताकि विधायक स्वतंत्र रूप से अपनी बात कह सकें। तीसरी बात उन्होंने कहा कि 102 विधायक उस वक्त अशोक जी के प्रति वफादार थे, उनमें से ही किसी को मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए। सचिन पायलट या उनके ग्रुप से किसी को नहीं बनाया जाना चाहिए।

इसे लेकर माकन ने कहा कि जब हम एक-एक करके सबसे मिलेंगे तब आपकी भावना और एक-एक विधायकों की राय कांग्रेस आलाकमान को बताई जाएगी। उसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष अशोक गहलोत से बात करके फैसला लेंगी। इसलिए किसी को इस बात की चिंता नहीं करनी चाहिए कि आपकी भावना ऊपर तक नहीं जाएगी। लेकिन वे लोग लगातार आग्रह करते रहे कि ये तीनों बातें रिजोल्यूशन का हिस्सा हो।

शांति धारीवाल के घर पर विधायकों की मीटिंग बुलाए जाने पर माकन ने कहा कि यह प्राथमिक रूप से अनुशासनहीनता है। जब एक आधिकारिक मीटिंग बुलाई गई है, उसी के समानांतर कोई अनऑफिशियल मीटिंग बुलाई गई है, तो यह प्राथमिक दृष्टि से अनुशासनहीनता है। देखेंगे इसपर आगे क्या कार्रवाई करते हैं।

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