मुस्लेमीन, रामपुर। फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा की एंट्री से रामपुर लोकसभा सीट हॉट बन गई है। इसे लेकर जिला प्रशासन भी अलर्ट हो गया है और सुरक्षा व्यवस्था के पर्याप्त इंतजाम करने में जुट गया है। जयप्रदा पहले भी दो बार रामपुर से सांसद चुनी जा चुकी हैं। पहली बार उन्होंने वर्ष 2004 में रामपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा था। तब समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और शानदार जीत हासिल की।
उस वक्त सूबे में सपा की सरकार थी और आजम खां नगर विकास मंत्री थे। आजम ने उन्हें पूरी लगन से चुनाव लड़ाया, लेकिन इस चुनाव के चंद महीने बाद ही आजम और जयाप्रदा के बीच दूरियां बढऩे लगीं। दोनों के बीच तल्खी इतनी बढ़ी कि जयाप्रदा ने सपा के दफ्तर भी आना जाना बंद कर दिया। इससे पहले सपा में कोई गुटबाजी नहीं हुआ करती थी और आजम का एक छत्र राज था, लेकिन जयाप्रदा से दूरियां बढऩे के बाद गुटबाजी पैदा हो गई।
वर्ष 2009 का लोकसभा चुनाव आते-आते दोनों के बीच ऐसी दरार पड़ गई कि एक दूसरे से दुआ सलाम तक बंद हो गई। तब आजम नहीं चाहते थे कि जयाप्रदा को सपा का प्रत्याशी बनाया जाए, लेकिन मुलायम सिंह ने उन्हें ही रामपुर से टिकट दिया। इस पर आजम मतदान के दिन तक उनका विरोध करते रहे, उस चुनाव में कई बार तनाव की स्थिति भी पैदा हुई। जयाप्रदा की कार पर पथराव किया गया। उनके नंगे पोस्टर बांटे गए। इसके बाद भी जया चुनाव मैदान में डटी रहीं और जीत गईं। जयाप्रदा के करीबी अमर सिंह का भी आजम से 36 का आंकड़ा है।
सियासी माहौल गर्माना तय
ऐसे हालात में रामपुर सीट पर सियासी माहौल गर्माना तय है। इसी के मद्देनजर जिला प्रशासन भी अलर्ट हो गया है। उसने संवेदनशीलता को लेकर फिर से समीक्षा शुरू कर दी है। जिलाधिकारी आन्जनेय कुमार सिंह ने तमाम सेक्टर मजिस्ट्रेट और जोनल मजिस्ट्रेट को सभी मतदान केंद्रों का जायजा लेने के निर्देश दिए हैं। उनका कहना है कि संवेदनशीलता को लेकर हम पूरी तरह से चौकन्न हैं। दोबारा समीक्षा कर रहे हैं। जरूरत पड़ी तो सुरक्षा बलों की और डिमांड की जाएगी। संवेदनशील केंद्रों पर कड़े सुरक्षा प्रबंध रहेंगे।