जयपुर: नेतागिरी की पहली अदालत माना जाता है छात्रसंघ का चुनाव। हर छात्र अपनी राजनीति चमकाने के लिए छात्रसंघ का चुनाव लड़ना चाहता है। राजस्थान विश्वविद्यालय के चुनावों की शुरूआत 1967 से हुई थी। उस समय आदर्श किशोर सक्सेना अप्रत्यक्ष रूप से अध्यक्ष पद पर चुने गए थे। तब से लेकर अब तक 35 बार छात्रसंघ अध्यक्ष चुने जा चुके हैं। प्रत्यक्ष प्रणाली के आधार पर राजस्थान विश्वविद्यालय में पहली बार चुनाव 1970 में शुरू हुए। जिसमें छात्र-छात्राओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। इन विश्वविद्यालय के अध्यक्ष बने बहुत से नेताओं ने राजनीति में भी कदम रखा और सफल रहे। 2005-06 से 2009-10 तक राजस्थान छात्रसंघ चुनाव में हिंसा और तोड़फोड़ की घटना के बाद कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी। बाद में लिंगदोह कमेटी का गठन कर फिर से विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव हुए। राजस्थान विश्वविद्यालय के छात्रसंघ के चुनाव अगस्त महीने में होने है, लेकिन अभी काॅलेज ठीक से शुरू हुए नहीं है। अभी पढ़ाई भी चालू हुई नहीं, लेकिन विश्वविद्यालय में नेताओं की नेतागिरी शुरू हो गई है। विश्वविद्यालय की दीवारों पर अभी से इन नेताओं के पोस्टर लगने शुरू हो गए हैं। जबकि लिंगदोह कमेटी में साफ कहा गया था कि कोई भी छात्र विश्वविद्यालय की सम्पति को विरुपित नहीं करेगा, लेकिन छात्र लिंगदोह कमेटी की धज्जियां उड़ा रहे हैं।