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जम्मू-कश्मीर में भाजपा और पीडीपी का गठबंधन टूटा

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भाजपा ने जम्मू-कश्मीर में पीडीपी से अपना गठबंधन तोड़ दिया है. पार्टी नेता राम माधव ने इस बात की जानकारी सार्वजनिक करते हुए कहा कि देश की संप्रभुता और एकता को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है. उनके मुताबिक भाजपा के लिए अब गठबंधन जारी रखना संभव नहीं रह गया था. राम माधव ने पीडेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि बीते तीन साल में भाजपा के मंत्रियों के काम में रुकावट पैदा की गई. उन्होंने जम्मू और लद्दाख के साथ भेदभाव किए जाने का भी आरोप लगाया. जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री कविंदर गुप्ता ने कहा कि भाजपा के सभी मंत्रियों ने अपने इस्तीफे मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को सौंप दिए हैं.

जानकारों का कहना है कि रमजान के बाद जम्मू-कश्मीर में युद्धविराम पर लगी रोक हटाने के बाद राज्य और केंद्र सरकार के बीच पैदा हुए मतभेदों के चलते यह फैसला लिया गया है. खबरों की मानें तो महबूबा मुफ्ती चाहती थीं कि युद्धविराम को जारी रखा जाए जबकि केंद्र रमजान के दौरान हुईं हिंसक घटनाओं के चलते इसके खिलाफ था. लिहाजा बीते शनिवार को ईद के बाद केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों को सैन्य अभियान फिर से शुरू करने का निर्देश दिया गया है.

रमजान के दौरान युद्धविराम की घोषणा करने के पीछे सरकार का उद्देश्य था कि इस पाक महीने में जम्मू-कश्मीर में शांति का माहौल बना रहे. लेकिन इस दौरान भी घाटी में हिंसा जारी रही. सेना और आम नागरिकों पर ग्रेनेड हमले, ‘राइजिंग कश्मीर’ अखबार के संपादक शुजात बुखारी की हत्या और सेना के जवान औरंगजेब का अपहरण और फिर हत्या जैसी घटनाओं ने घाटी में शांति नहीं रहने दी. इस पर गृह मंत्री का कहना था, ‘उम्मीद थी कि सभी इस कदम (युद्धविराम) में साथ देंगे. सुरक्षाबलों ने तो सख्ती से नियम का पालन करते हुए उदाहरण पेश किया, लेकिन आतंकवादी, नागरिकों और सुरक्षाबलों पर हमले करते रहे.’ राम माधव ने भी अपने बयान में इन तमाम बातों का जिक्र किया.

जम्मू-कश्मीर में पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार बनने के बाद से कई मौकों पर दोनों पार्टियों में टकराव देखने को मिलता रहा. अलग-अलग मौकों पर दोनों गठबंधन सहयोगियों में मतभेद साफ तौर पर दिखाई दिए. महबूबा मुफ्ती का जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों को विशेष शक्तियां प्रदान करने वाले कानून (आफ्सपा) को हटाने की मांग करना, पीडीपी का अलगावादियों से बातचीत का वादा करना और जीएसटी लागू करने के मुद्दे पर यह टकराव साफ देखने को मिला.

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