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जानिए आखिर क्या है सिजोफ्रेनिया बीमारी…

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नई दिल्ली। 
आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में लोग अपनी सेहत का ध्यान रखना भूल गए है। आज की थकान भरी जिंदगी में इंसान तरह तरह की बिमारियों से ग्रसित है, ऐसी ही एक बीमारी है सिजोफ्रेनिया। बता दे कि वर्ल्ड सिजोफ्रेनिया दिवस 24 मई को मनाया जाता है। सिजोफ्रेनिया एक मानसिक विकार है। इसके लक्षणों को सकारात्मक और नकारात्मक श्रेणी में बांटा जा सकता है। जहां तक सकारात्मक लक्षणों की बात है, तो वह यह है कि वह मनुष्य की सामान्य कार्यप्रणाली में काफी बढ़ोत्तरी कर देते हैं। सिजोफ्रेनिया के मरीज वास्तविक दुनिया से कट जाते हैं। इस बीमारी से ग्रसित दो मरीजों के लक्षण हर बार एक जैसे नहीं होते। ऐसे में इस बीमारी का पता लगाना कठिन हो जाता है। सिजोफ्रेनिया के मरीजों में कुछ विशेष तौर से दिखने वाले लक्षण कैटेटोनिक कहे जाते है। इसमें व्यक्ति ज्यादा चलता फिरता नहीं है और किसी भी निर्देशों का पालन नहीं कर पाता है। इसकी चरमता पर ऐसे व्यक्ति मोटर की गतिविधियों की अत्यधिक और अजीब सी आवाज निकालकर नकल उतारते है। इसे कैटेटोनिक उत्साह कहा जाता है।


सिजोफ्रेनिया के लक्षण
इलाज में मार्डन तकनीकी की वजह से पहले की तुलना में अब कैटेटोनिक सिजोफ्रेनिया कम पाया जाता है। सिजोफ्रेनिया की बजाय कैटेटोनिक को न्यूरोडेवलेपमेंटल (एक ऐसी स्थिति जो बच्चे के तंत्रिका तंत्र को विकसित करने के समय प्रभावित करती है), साइकोटिक बाइपोलर, और डिप्रेसिव डिसऑर्डर जैसे मानसिक बीमारियों में ज्यादा देखा जाता है। कैटेटोनिया के रोगी को अत्यधिक और कम मोटर गतिविधि के बीच में देखा जा सकता है। माडर्न तकनीकी की वजह से कैटेटोनिक सिजोफ्रेनिया के मरीज अपने लक्षणों को आसानी से समझने लगे है, जिससे उनकी जिंदगी पहले से बेहतर हो गई है।


सिजोफ्रेनिया के कारण
जेनेटिक्स- सिजोफ्रेनिया का इतिहास रखने वाले परिवार में इस बीमारी से ग्रस्त होने का खतरा ज्यादा रहता है।
वायरल संक्रमण – कुछ अध्ययनों के अनुसार वायरल संक्रमण के कारण बच्चों में एक प्रकार का पागलपन के विकास होने की संभावना ज्यादा रहती है।
भू्रण कुपोषण – अगर गर्भावस्था के दौरान भू्रण कुपोषण से ग्रस्त है, वहाँ एक प्रकार का पागलपन विकसित होने का अधिक खतरा है।
प्रारंभिक जीवन के दौरान तनाव – प्रारंभिक जीवन मेंगंभीर तनाव के कारण एक प्रकार के पागलपन के विकास होने का खतरा रहता है।
जन्म के समय माता-पिता की आयु – ज्यादा उम्र के माता पिता के बच्चों में इस बीमारी के होने की संभावना ज्यादा रहती है।
सिजोफ्रेनिया का इलाज
सिजोफ्रेनिया एक ऐसी स्थिति है जो सारी जिंदगी रहती है, हालांकि कैटेटोनिक लक्षण हमेशा रहे ऐसा जरूरी नहीं है। सिजोफ्रेनिया के मरीजों को एक स्थायी आधार पर उपचार की आवश्यकता होती है। यहां तक कि जब लक्षण गायब हो जाये और रोगी को लगने लगे वे बेहतर हो गए हैं। सभी प्रकार के सिजोफ्रेनिया का इलाज एक ही तरीके से किया जाता है। बीमारी के तथ्यों, गंभीरता और लक्षणों के आधार पर इसके इलाज के तरीकों में अंतर हो सकता है।

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