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जानिए क्या है कोरोना वायरस से जुड़ी इन अफवाहों का सच !

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द एंगल।

नई दिल्ली।

जैसे-जैसे समय आगे बढ़ रहा है जानलेवा कोरोना वायरस (Coronavirus) का खतरा कम होने की बजाए बढ़ता ही जा रहा है। कोराना काफी नया और एक अलग तरह का वायरस है, इसलिए इसके फैलने लेकर तरह-तरह की अफवाहें भी फैल रही हैं। इसलिए लोग ज्यादा खौफ में हैं। लेकिन इससे बचाव के लिए इसके बारे में सही जानकारी होना बेहद ज़रूरी है।

अफवाह- फेस मास्क पहनने के बाद हम वायरस से सुरक्षित हैं।

सच- स्टैंडर्ड सर्जिकल मास्क कोरोना से बचाव के लिए काफी नहीं हैं क्योंकि पतली लेयर से बने होने के कारण ये छोटे airborne particles को सांस के ज़रिए शरीर में जाने से नहीं रोक पाते हैं। इनकी बजाए N95 रेस्पिरेटर ज्यादा कारगर हैं। ये मोटे फेब्रिक से बने होते हैं और कई तरह के वायरस से बचाव करने में सक्षम हैं। ध्यान देने वाली बात यह भी है कि मास्क मुंह पर एकदम फिट रहना चाहिए और सरकना नहीं चाहिए।

अफवाह- साधारण सर्दी-जुकाम जल्दी फैलता है, जबकि कोरोना देर से फैलता है।

सच- ऐसा जरूरी नहीं है। University of Hong Kong में इस पर हुई रिचर्स के अनुसार सामान्य फ्लू से संक्रमित व्यक्ति औसतन 1-3 व्यक्तियों को संक्रमित करता है, जबकि कोरोना का मरीज इसकी तुलना में कहीं ज्यादा तेजी से और ज्यादा संख्या में लोगों को संक्रमित कर सकता है। फ्लू से बचाव के लिए वैक्सीन भी हैं, जबकि COVID-19 का अभी तक कोई इलाज नहीं खोजा जा सका है।

अफवाह- कोरोना पॉजीटिव होने का मतलब है मरीज की मौत।

सच- यह पूरी तरह से सच नहीं है क्योंकि COVID-19 से प्रभावित लगभग 81 प्रतिशत मरीजों पर इसका माइल्ड असर देखा गया है। चीन के एक अखबार ने Chinese Center for Disease Control and Prevention के हवाले से बताया कि केवल 13.8 प्रतिशत लोग ही कोरोना से बुरी तरह से प्रभावित हैं और 4.7 मरीज क्रिटिकल माने जा सकते हैं।

अफवाह- बच्चों में कोरोना का खतरा नहीं है।

सच- बच्चे भी इस जानलेवा वायरस की गिरफ्त में आ सकते हैं, लेकिन ये भी सच है कि बच्चों पर इस बीमारी का असर वयस्कों और बुजुर्गों की अपेक्षा कम दिख रहा है। माना यह भी जा रहा है कि बच्चे कोरोना से संक्रमित तो होते हैं, लेकिन कई बार उनके शरीर में कोई लक्षण नहीं दिखते। ऐसे में बच्चे बीमारी को एक से दूसरे व्यक्ति में फैलाने के लिए वाहक का काम करते हैं।

अफवाह- कोरोना से संक्रमित मरीज की पहचान करना आसान है।

सच- ऐसा बिल्कुल नहीं है। COVID-19 के कई लक्षण हैं। इनमें से कई सांस की अन्य कई बीमारियों की तरह लगते हैं जैसे मौसमी सर्दी और फ्लू। कोरोना में भी मरीज में ये सारे लक्षण होते हैं। लेकिन कोरोना के कुछ खास लक्षणों में उल्टी होना, बेहोशी आना और लगातार बहती नाक शामिल है। लेकिन ये लक्षण बहुत आखिर में सामने आते हैं। ऐसे में हाईजीन का ध्यान रखें और फ्लू जैसे लक्षण भी दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

अफवाह- चीन से आए पार्सल लेने पर कोरोना का खतरा हो सकता है।

सच- WHO की मानें तो ऐसा नहीं है। इस बारे में The Journal of Hospital Infection के हवाले से WHO कहता है कि कोरोना के विषाणु हालांकि मेटल, कांच, प्लास्टिक जैसी सतहों पर लगभग 9 दिनों तक जिंदा रह सकते हैं, लेकिन पार्सल बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाली चीजें इस वायरस के सर्वाइवल के लिए आदर्श नहीं हैं। वायरस को जीने के लिए सतह के साथ ही अनुकूल तापमान दशा भी चाहिए। यही वजह है कि चीन से भारत आने के दौरान तापमान घटने-बढ़ने पर यह वायरस खुद ही नष्ट हो जाता है।

अफवाह- नाक में ब्लीच लगाने से बचा जा सकता है।

सच- ये बात भी फैली हुई है कि ब्लीच या क्लोरीन जैसे कीटाणुनाशक सॉल्वैंट्स जिसमें 75 प्रतिशत इथेनॉल, पैरासिटिक एसिड और क्लोरोफॉर्म होता है, कोरोना वायरस को सतह पर खत्म कर सकते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि ऐसे कीटनाशकों को त्वचा पर लगाने से कोई फायदा नहीं होता है। बल्कि शरीर के लिए ऐसे रसायन खतरनाक और जानलेवा साबित हो सकते हैं।

अफवाह- माउथवॉश का गरारा कोरोना से बचने में फायदेमंद हो सकता है।

सच- माउथवॉश के गरारे से कोरोना वायरस से नहीं बचा जा सकता। कुछ कंपनियों के माउथवॉश कुछ मिनटों के लिए आपकी लार में रहने वाले विशेष रोगाणुओं को खत्म कर सकते हैं, लेकिन डब्ल्यूएचओ के मुताबिक यह आपको कोरोना वायरस से नहीं बचाता।

अफवाह- चाइनीज रेस्त्रां में खाना खाने से कोरोना हो सकता है।

सच- नहीं, ऐसा नहीं है। अगर किसी भी रेस्त्रां में कोरोना से प्रभावित मरीज खाना खाने आए या फिर माइल्ड लक्षणों वाला कोई व्यक्ति ही खाना पकाए या परोसे, तो भी यह वायरस फैल सकता है। यहां तक कि अगर टॉयलेट क्लीन करने वाला स्टाफ कोरोना वायरस से संक्रमित है, तो वह भी आपको कोरोना वायरस का संक्रमण दे सकता है। अब कोरोना वायरस सिर्फ चीन या चीनी लोगों तक ही सीमित नहीं रह गया है। इसलिए बाहर खाने से बचना ही आपके लिए सुरक्षित हैं। अगर खाएं भी तो हाईजीन का खास ख्याल रखें या फिर खाना बाहर से मंगवाकर उसे रीहीट यानि दोबारा गर्म करें।

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