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दर-दर भटक रहा है किसान का परिवार

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रायपुर।

कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या करने के बाद भी किसान के परिवार को राहत नहीं मिल रही है। बकाया राशि चुकाने के लिए बैंक अब भी परिवार को नोटिस पर नोटिस भेज रहा है। दूसरी ओर पीड़ित परिवार आज भी कर्ज माफी के लिए दफ्तरों का चक्कर लगा रहा है। लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। यह सब तब हो रहा है जब राज्य में सभी किसानों की कर्जमाफी का जोरशोर से प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।
बीते साल 2018 में 8 अक्टूबर को बालसमुंद गांव निवासी किसान रामअवतार साहू (56) ने पेड़ से लटकर आत्महत्या कर ली थी। रामअवतार ने अपने सुसाइड नोट में स्टेट बैंक के स्थानीय शाखा से 4 लाख रुपए कर्ज का जिक्र किया था। साथ ही पुलिस के एक मामले में फंसाने और अपने परिवार-वालों को परेशान न करने का भी जिक्र था। सुसाइड नोट के मुताबिक लगातार चार साल सूखा पड़ने के कारण वह कर्जा नहीं जमा कर सका था। हाल ही में स्टेट बैंक ने अपने वकील के जरिए मृतक किसान के परिजनों को कर्ज चुकाने संबंधित नोटिस भेजा है।
इस मामले में परिजनों ने विधायक से लेकर कलेक्टर तक मदद की गुहार लगाई, लेकिन उन्हें कोई मदद नहीं मिली। बेमेतरा के कलेक्टर महादेव कावरे का कहना है कि इस मामले में जानकारी मांगी गई है। हम लोन जमा करने के बैंकों के नियम और नोटिस जारी करने के नियमों की जानकारी ले रहे हैं। जल्द ही सकारात्मक कदम उठाए जाएंगे। इस मामले में छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के नेता अमित जोगी ने अपने फेसबुक पेज पर इस मामले को लेकर प्रदेश सरकार पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने लिखा कि छत्तीसगढ़ में मानवता को कलंकित करने वाला एक और मामला, कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे के गृह जिला बेमेतरा में आत्महत्या कर चुके किसान के परिवार को नोटिस। क्या यही है भूपेश सरकार की किसानों को कर्ज माफी?

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