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दहेज उत्पीड़न के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला

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नई दिल्ली: दहेज उत्पीड़न के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक और फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया है कि क्रूरता और दहेज उत्पीड़न के मामलों में महिला का कोई रिश्तेदार भी पति और उसके रिश्तेदारों के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकता है. जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस के एम जोसेफ की पीठ ने फैसले में कहा कि 498ए में कहीं भी ऐसा नहीं लिखा है कि केवल पीड़ित महिला ही शिकायत दर्ज करा सकती है. सुप्रीम कोर्ट के नए फैसले में कहा कि शिकायत पीड़ित महिला द्वारा कराया जाना ही नहीं जरूरी है. गौरतलब है कि इसी साल अप्रैल माह में एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि ससुराल से निकाली गई महिला मायके या उस जगह पर भी प्रताड़ना का केस दर्ज करवा सकती है, जहां वह शरण लेने को मजबूर है. अभी तक आईपीसी की धारा 498ए के तहत महिला सिर्फ ससुराल में ही केस दर्ज करवा सकती थी. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने अलग-अलग राज्यों से जुड़ी छह याचिकाओं पर यह फैसला दिया था. सात साल से लंबित इन याचिकाओं में से एक उत्तर प्रदेश की रूपाली देवी की थी. कोर्ट ने कहा था कि क्रूरता के कारण ससुराल से निकाली गई महिला आरोपियों के खिलाफ वहां से भी केस दर्ज करवा सकती है, जहां वह शरण लेने को मजबूर है. कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि महिला को अपनी ससुराल में ही शिकायत दर्ज कराने की कोई जरूरत नहीं है. दहेज प्रताड़ना के एक मामले में कोर्ट को बताया गया था कि दहेज प्रताड़ना केस में आईपीसी 498ए के तहत क्रूरता लगातार होने वाला अपराध नहीं मानी गई है. ऐसे में इस तरह के अपराध की जांच उसके घटित होने की जगह से बाहर के क्षेत्र में तैनात पुलिस अधिकारी को नहीं दे सकते. साल 2012 में कोर्ट ने उक्त सवाल को विचार के लिए चुना था. उसी पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है.

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