दा एंगल।
नई दिल्ली।
दहेज लेना और देना पुरातन काल से चला आ रहा है। पुरातन काल में दहेज माता-पिता अपनी बेटी को इच्छानुसार कुछ न कुछ देते थे। विवाह एक पवित्र बंधन होता है जो दो परिवारों का एक करता है। विवाह के समय माता-पिता अपनी बेटी के लिए सामान के लिए कुछ उपहार उसके साथ देते थे। जिसे वर पक्ष बिना किसी लोभ के ग्रहण कर लेता था। धीरे-धीरे यह प्रथा भी छुआछूत, जाति प्रथा की बुराइयों की तरह फैलने लगी। आज दहेज रूपी अजगर ने विकराल रूप धारण कर लिया है। इसका यह अजगर आज हर बहन-बेटी को डर रहा है
आधुनिक युग में भी दकियानुसी सोच
आज दुनिया चांद पर पहुंच गई है, लेकिन भारत में आज भी बहुत से लोग दकियानुसी सोच के शिकार हैं। आज भी वे दहेज लेना अपनी शान समझते हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया देश की राजधानी दिल्ली से। जहां एक पति ने अपनी पत्नी को सिर्फ पांच हजार रुपए के लिए जलाकर मार डाला। दरअसल, दिल्ली के ख्याल में रहने वाली मीनल का विवाह अमित के साथ हुआ था। शादी के कुछ दिनों के बाद से ही वह मीनल के साथ और दहेज लाने की बात को लेकर मारपीट करता था। मीनल कुुछ दिन पहले अपने मायके जा रही थी तो पति ने उसे मायके से पांच हजार रुपए लाने के लिए कहा था। वह मायके से पांच हजार रुपए नहीं लाई तो पति ने उसे जिंदा जला दिया। पुलिस ने आरोपी पति को गिरफ्तार कर लिया है।
दहेज हत्या पर सख्त कानून की दरकार
देश में आज भी दहेज हत्या के अनगिनत मामले सामने आ रहे हैं। सरकार इसकी रोकथाम के लिए कानून भी बना चुकी है। जब तक लोगों में जागृति नहीं आएगी तब तक यह कानून बेमानी साबित होगा। लोगों को अब तक इस दिशा में सोचना होगा कि थोड़ी सी दहेज की रकम के लिए आप उस बेटी को मार देते हैं जो अपना सब कुछ छोड़कर आपके घर आई है।