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पिछले चार साल में मोदी सरकार ने देश को बर्बादी और नफ़रत में झोंक दिया है : विशेषज्ञ

डिसमैंटलिंग इंडिया (विखंडित भारत) नाम से तैयार की गई इस रिपोर्ट में विश्लेषणात्मक लेखों के साथ ऐसी घटनाओं के तारीखवार ब्यौरे पेश किए गए हैं जो उपरोक्त दावों को पुष्ट करते हैं

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अलग-अलग क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले कई नामचीन विशेषज्ञों ने नरेंद्र मोदी सरकार के चार सालों का रिपोर्ट कार्ड तैयार किया है. डिसमैंटलिंग इंडिया (विखंडित भारत) नाम से तैयार की गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अपने मौजूदा कार्यकाल में भाजपा सरकार ने देश को बर्बादी और नफ़रत में झोंक दिया है. इस रिपोर्ट में विश्लेषणात्मक लेखों के साथ ऐसी घटनाओं के तारीखवार ब्यौरे हैं जो उपरोक्त दावों को पुष्ट करते हैं. गौरतलब है कि यह रिपोर्ट दिल्ली के कॉन्सटीट्यूशन क्लब में दिनभर इन विषयों पर चलीं अलग-अलग चर्चाओं के हवाले से तैयार की गई है.

इस चर्चा में शामिल रहे अर्थशास्त्री अरुण कुमार का कहना था कि मोदी सरकार के कार्यकाल में असगंठित क्षेत्र को सबसे ज्यादा खामियाजा उठाना पड़ा है, किसानी की हालत पस्त है और रोजगार समाप्त हो गए हैं. नोटबंदी के बाद जो बची कुची कसर थी उसे जीएसटी ने पूरा कर दिया. अब प्रधानमंत्री संसद में नोटबंदी से जुड़े किसी भी सवाल पर जवाब देना पसंद नहीं करते हैं. रिजर्व बैंक से लेकर संसद तक सारे संस्थानों को नष्ट किया जा रहा है.

मानवाधिकार प्रचारक शबनम हाशमी का इस मामले में कहना था कि यह रिपोर्ट मोदी सरकार के तमाम दावों से पर्दा हटाती है. इसमें बड़े पैमाने पर वे सभी आंकड़े लिए गए हैं जो साबित करते हैं कि पिछले चार साल में देश को बुरी तरह नफरत और बर्बादी में झोंका दिया गया. वहीं सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर ने भी इस मौके पर मोब-लिंचिंग के मामले में केंद्र सरकार को जमकर आड़े हाथ लिया. अपने बयान में मंदर ने कहा, ‘देश लिंचिस्थान बन चुका है. बच्चे नफरत का पाठ सीख रहे हैं. वे हिंसा में भाग लेने से नहीं झिझकते. अल्पसंख्यक समाज डर के साये में रहने को मजबूर है.’

जहां न्यायविद उषा रमानाथन ने इस मौके पर आधार में बड़े पैमाने पर हुई गड़बड़ियों का उल्लेख किया. वहीं सीपीआई (एमएल) की नेता कविता कृष्णन ने मोदी सरकार को महिला और लोकतंत्र विरोधी चरित्र वाला बताया. कृष्णन का कहना था कि जिस तरह कठुआ कांड में भाजपा के लोग बलात्कारियों को बचाने के लिए सड़क पर उतरे, उसने साफ कर दिया कि सरकार कहां खड़ी है.

योजना आयोग की पूर्व सदस्य सईदा हमीद ने बेहद दुख के साथ कहा कि अब तक वे खुद को हिंदुस्तानी के तौर पर देखती आ रहीं थी लेकिन अब उनकी पहचान सिर्फ एक मुस्लिम औरत के रूप में बदल गई है. हमीद ने आगे जोड़ा, ‘बाबरी मस्जि़द, गुजरात और मुजफ्फरनगर से लेकर अभी तक जो नफ़रत फैलाई गई है उसने उन्हें हिलाकर रख दिया है.’ आज उनकी पहचान सिर्फ मुस्लिम औरत में तब्दील हो गई है, जबकि उन्होंने पूरी जिंदगी खुद को एक हिंदुस्तानी के तौर पर देखा। उन्होंने कहा, बाबरी मस्जिद विध्वंस, गुजरात और मुजफ्फरनगर से लेकर अब तक जो नफरत फैलाई जा रही है, उसने उन्हें हिला दिया है.

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