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पीने के पानी के लिए तरस रहा पाकिस्तान, इस देश से मांगी मदद

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द एंगल।

इस्लामाबाद।

पाकिस्तान भारत के खिलाफ बयानबाज़ी करने से फुर्सत ले तो कही जाके अपने देश वासियो के बारे में सोचे। पाकिस्तान हाल फिलाल गरीबी से जूझ रहा है। पाकिस्तान की जनता गरीबी से बेहद परेशान है। लिहाजा हर छोटी-छोटी चीज़ों के लिए पाकिस्तान को दर दर भटकना पड़ रहा है। अब पाकिस्तान को तुर्की के सामने हाथ फैलाना पड़ रहा है। पीने के पानी से लेकर हॉस्पिटल और फिर लड़ाई के लिए हथियार।

हर चीज़ के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोग़ान से मदद मांग रहे हैं। पिछले दिनों पाकिस्तान को तुर्की ने ‘कारकी’ विवाद में करीब 18 हज़ार करोड़ का जुर्माना माफ करवा दिया। अब पाकिस्तान को तुर्की की तरफ से पीने का पानी भी मिलने लगा है।

पीने के शुद्ध पानी का इंतज़ाम

पिछले दिनों सिंध प्रांत में तुर्की ने 4 वॉटर फिल्ट्रेशन प्लांट लगवाए। उम्मीद की जा रही है कि इससे करीब 10 लाख लोगों को शुद्ध पानी मिलेगा। तुर्की ने ये भी कहा है कि आने वाले दिनों में वो पाकिस्तान के कई और इलाकों में पीने के शुद्ध पानी का इंतज़ाम करवाया जाएगा।
पाकिस्तान में अस्पतालों की हालत भी जर्जर है। लिहाजा तुर्की ने पिछले दिनों पाकिस्तान के सरकारी अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड की चार कलर मशीन भी दीं। तुर्की ने कहा है कि पाकिस्तान की स्वास्थ्य व्यवस्था सुधारने के लिए वो पूरी मदद करेगा। पाकिस्तान को ये सारी मदद टर्कीश कॉरपोरेशन और कॉर्डिनेशन एजेंसी की तरफ से मिल रही है।

तुर्की से दोस्ती का फायदा उठाएगा पाक-

पाकिस्तान-तुर्की की दोस्ती इस साल संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान गहरी हो गई। दरअसल यहां तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोग़ान ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के खिलाफ बयान दिया था। इतना ही नहीं पिछले दिनों खबर आई कि तुर्की अब पाकिस्तान के लिए जंगी जहाज बना रहा है।

पाक-तुर्की रिश्तों पर भारत की नज़र-

राष्ट्रपति एर्दोग़ान के जम्मू-कश्मीर पर दिए गए बयान के बाद से पीएम मोदी ने कूटनीतिक स्तर पर तुर्की को घेरना शुरू कर दिया है। इसी के तहत पिछले महीने भारत ने पश्चिम एशिया की यात्रा के दौरान तुर्की जाने वाले अपने नागरिकों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी। इस साल न्यूयॉर्क में पीएम मोदी ने साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस अनास्तासियादेस के साथ मुलाकात की। इसके अलावा पीएम मोदी ने आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पाश्नियान के साथ द्विपक्षीय बैठक की। बातचीत के जरिए उन्होंने तुर्की को ये इशारा देने की कोशिश की है कि अगर उसने पाकिस्तान का साथ दिया तो फिर उन्हें उसका जवाब मिल सकता है।

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