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भ्रामक विज्ञापन देने पर होगा क्रिमिनल केस दर्ज

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द एंगल

नई दिल्ली

विज्ञापन के इस दौर में कई तरह के विज्ञापन आते है। किसी भी प्रोडक्ट की मार्केटिंग करने के लिए विज्ञापन सबसे जरुरी कदम है क्योकि इसके बिना उस प्रोडक्ट की पहचान नहीं होती है। ऐसे में आज हर क्षेत्र में विज्ञापन का अहम् रोल है। ऐसे में आजकल भ्रामक विज्ञापनों का चलन बढ़ता जा रहा है। भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए स्वास्थय मंत्रालय कड़ी कार्यवाई करेगा।

दवाओं के गलत विज्ञापन पर होगा जुर्माना

स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने यह जानकारी दी की अगर कम्पनीज अपनी दवाओं के विज्ञापन का प्रचार-प्रसार करती है और अगर ये विज्ञापन भ्रामक पाया जाता है तो कंपनियों को भारी जुर्माना और क्रिमिनल केस का सामना करना पद सकता है।
ऐसी फार्मास्युटिकल्स कंपनियां जो अपनी दवाओं के जरिए एक यौनांग के साइज और आकार, स्तन के रूप और संरचना या गोरेपन में सुधार का भ्रामक दावा करती हैं ये कंपनियां सजा की हकदार होंगी।

भ्रामक विज्ञापनों के स्वास्थय पर गलत असर

स्वास्थय मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार मंत्रालय ने मौजूदा कानूनों में बदलाव की सिफारिश करने के लिए एक कमिटी का गठन किया है। इस कमिटी का गठन दवाओं के गलत प्रचार-प्रसार को रोकने के लिए किया गया है। फार्मास्युटिकल्स कंपनियां भ्रामक विज्ञापनों के जरिए अपनी दवाओं के प्रभाव और सुरक्षा को लेकर गलत जानकारी देती हैं, जिससे लोगों का स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इस कमिटी में ऐसी कंपनियों को भ्रामक विज्ञापन देने से रोकने के लिए उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज कराने, शीर्ष मैनेजरों को जेल भेजने और ऐसी कंपनियों पर भारी जुर्माना लगाने की सिफारिशें की जा सकती हैं।

सख्त दंडात्मक कार्रवाई पर विचार

गठित कमिटी के एक सदस्य ने इस बात की जानकारी दी की कानून में अभी जो जुर्माने के जो प्रावधान है वह कम है और ऐसे भ्रामक विज्ञापनों को रोकने के लिए काफी नहीं है। भ्रामक विज्ञापन देने वाले मात्र 500 रुपये का जुर्माना देकर बच निकलते है और ऐसे विज्ञापनों पर लगाम नहीं लग पाती है। जॉइंट हेल्थ सेक्रटरी मंदीप भंडारी की अध्यक्षता वाली इस कमिटी की बैठक हुई थी, जिसमें ड्रग्स ऐंड मैजिक रेमेडीज ऐक्ट, 1954 के प्रावधानों में बदलाव पर चर्चा की गई। ‘मौजूदा कानूनों में जुर्माने को अधिक कड़ा करने की जरूरत है। हमें जुर्माने और कैद के प्रावधानों को बढ़ाकर अधिक प्रभावी बनाना होगा।’ कमिटी, ड्रग्स ऐंड कॉस्मेटिक्स रूल्स, 1945 के शेड्यूल J में शामिल बीमारियों के लिए विज्ञापन देने वालों के खिलाफ सख्त दंडात्मक कार्रवाई पर विचार कर रही है।

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