लोकसभा चुनावों से पहले प्रवास बैठकों में मंडलों की निष्क्रियता ने भाजपा की चिंता बढा दी है। प्रवास बैठकों में हर मंडल की बैठक में कम से कम 100 पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को शामिल करने का लक्ष्य दिया गया है। ज्यादातर बैठकों में मंडल पदाधिकारियों की संख्या 40 से ऊपर नहीं पहुंच रही। फीडबैक में यह बात निकलकर आई है कि पिछले विधानसभा चुनावों में पार्टी ने जिन विधायकों के टिकट काट दिए थे वहां के मंडल पदाधिकारी उनके साथ ही चले गए। भाजपा ने विधानसभा चुनावों में 50 से ज्यादा विधायकों के टिकट काटे थे। इसके अलावा पार्टी ने जिन विधानसभाओं में कांग्रेस के बागियों को टिकट दिया वहां भी इसी तरह की समस्या सामने आ रही है। अब प्रवास बैठकों में यह बात आ रही है कि संगठन में पदाधिकारियों की तैनाती में विधायकों की सिफारिशों को कम संगठन पदाधिकारियों की सिफारिशों को ज्यादा तरजीह मिले।