दा एंगल।
पटना।
देश इस समय वैश्विक बीमारी कोरोना से जूझ रहा है। इस काम में देश के सभी डाॅक्टर्स और नर्से जी जान से जुटे हुए हैं। डॉक्टर्स 24-24 घंटे लोगों की सेवा में लगे हुए है। उनका यह ही ध्येय है कि किसी भी तरह से भारत से ये कोरोना नामक बीमारी से मुक्ति मिल जाए।
इस बीमारी से लड़ने में बिहार सरकार भी अपनी कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। सरकारी मशीनरी दिन-रात लगी हुई है कोरोना की बीमारी से लड़ने के लिए। हालांकि, कोरोना संकट की इस घड़ी में बिहार के 9 मेडिकल कॉलेज अस्पताल के 234 और अन्य सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर अनुपस्थित पाए गए हैं। इसको देखते हुए स्वास्थ्य विभाग के सचिव ने बताया कि डॉक्टरों के अलावा पीएचसी और अन्य सरकारी अस्पताल के साथ मेडिकल कॉलेज में कार्यरत कर्मचारी भी अनुपस्थित पाए गए हैं। उन्होंने कहा कि इन सभी अनुपस्थित डॉक्टर और कर्मचारियों से स्पष्टीकरण की मांग की गई है। उन्होंने कहा कि संकट की इस घड़ी में डॉक्टरों को चाहिए कि वह अपनी ड्यूटी करें, साथ ही कर्मचारियों को भी अपना फर्ज निभाना चाहिए।
अपना फर्ज निभाएं डॉक्टर-कर्मचारी
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ने कहा कि प्रदेश सरकार की ओर से कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे डॉक्टर और अन्य कर्मचारियों को 1 महीने का अतिरिक्त वेतन देने का भी ऐलान किया गया है। ऐसे में डॉक्टर और कर्मचारियों से आग्रह है कि वह संकट के इस घड़ी में अपना फर्ज निभाएं।
कोरोना मरीजों की संख्या 64
उन्होंने ये भी कहा कि सिर्फ 9 मेडिकल कॉलेज अस्पताल से अनुपस्थित डॉक्टरों की संख्या 234 है, अगर इनमें पीएचसी और अन्य सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों की संख्या को जोड़ दें तो यह संख्या बढ़कर दोगुनी हो जाती है। इसी तरह सरकारी अस्पतालों में गैर-हाजिर कर्मचारियों की संख्या भी अनुपस्थित डॉक्टरों की संख्या के आसपास ही है। बिहार में अभी तक कोरोना मरीजों की संख्या 64 है। इसमें से एक व्यक्ति की मौत भी हो चुकी है। जबकि 18 लोग इससे ठीक भी हो चुके हैं। मुख्यमंत्री नीतीष कुमार ने संदिग्ध कोरोना मरीजों वाले क्षेत्रों में विशेष जांच के निर्देष भी दिए है।