मुंबई. 400 करोड़ रुपए की इमरजेंसी फंडिंग नहीं मिलने की वजह से जेट एयरवेज ने 17 अप्रैल को अस्थाई रूप से संचालन बंद कर दिया। इससे एयरलाइन के 23,000 कर्मचारियों के सामने रोजगार का संकट खड़ा गया है। शिवसेना ने सरकार से जेट एयरवेज का अधिग्रहण कर एयरलाइन के कर्मचारियों की नौकरी बचाने की मांग की है। पार्टी ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में लिखा है कि बेरोजगारों का श्राप साध्वी के श्राप से भी ज्यादा शक्तिशाली होगा। सेना का बयान साध्वी प्रज्ञा के उस बयान की ओर इशारा है। जिसमें उन्होंने कहा था कि एटीएस के पूर्व प्रमुख हेमंत करकरे को उनका श्राप लगा था।
शिवसेना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा है कि उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी की दूरदर्शिता से सीखना चाहिए, जो उन्होंने इंश्योरेंस और एयरलाइन कंपनियों के राष्ट्रीयकरण करने में दिखाई थी। शिवसेना का कहना है कि सरकार एयर इंडिया को 29,000 करोड़ रुपए की मदद दे रही है। जेट एयरवेज और किंगफिशर भी भारतीय कंपनियां हैं। जेट एयरवेज के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा दखल देने से इनकार करने पर भी सेना ने आश्चर्य जताया है। पिछले गुरुवार को हाईकोर्ट ने कहा था कि वह किसी कंपनी को बचाने के लिए सरकार और रिजर्व बैंक को निर्देश नहीं दे सकता। शिवसेना ने कहा है कि उसने जेट के कर्मचारियों का मुद्दा सरकार के सामने रखा है। शिवसेना महाराष्ट्र और केंद्र में एनडीए की सहयोगी है।