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राजस्थान राज्यपाल कलराज मिश्र ने राज्यपाल सम्मेलन में दिए ये महत्वपूर्ण सुझाव

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द एंगल।
जयपुर।
राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि पौधारोपण को बढावा देने के लिए केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को दसवीं व बारहवीं के विद्यार्थियों को पेड़ लगाने के लिए एवं जल संरक्षण के क्षेत्र  में कार्य करने हेतु अंक दिये जाने का प्रावधान किया जाना चाहिए। इससे लोगों में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता आयेगी। राज्यपाल मिश्र ने कहा कि ग्रामीण स्तर पर एक जल संरक्षण मास्टर प्लान तैयार किया जाना चाहिए, जिसमें न्यूनतम लागत संरचना जैसे पत्थरों के गेबियन, मिट्टी के बंड इत्यादि को प्राथमिकता दी जावे। इस क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाली कम से कम सौ पंचायतों को राज्य स्तर पर प्रतिवर्ष सम्मानित कर नकद पुरस्कार दिया जाना चाहिए, ताकि सम्पूर्ण देश में जल संरक्षण के प्रति सकारात्मक वातावरण बन सके।  राज्यपाल कलराज मिश्र शनिवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित राज्यपाल सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
मिश्र ने कहा कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना राजस्थान प्रदेश की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है।  मानसून के दौरान कुन्नू, कुल, पार्वती, कालीसिंध, मेज नदी बेसिनों में उपलब्ध अधिशेष वर्षा जल को बनास, मोरेल, बाणगंगा, पार्वती, गंभीर इत्यादि नदियों के सब बेसिनों में डाले जाने हेतु विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की गई है। इस परियोजना द्वारा राजस्थान के 13 जिलों में मनुष्य एवं जानवरों के लिए वर्ष 2051 तक पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित किये जाने के अतिरिक्त उद्योगों एवं डी.एम.आई.सी. के लिए भी पानी का प्रावधान रखा गया है। इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलाये जाने की नितान्त आवश्यकता है।

मिश्र ने कहा कि राजस्थान एवं अन्य कई राज्यों में वर्षा की असमानता देखने को मिलती है। राजस्थान के कई क्षेत्र यथा मेवाड़ के जिले जैसे प्रतापगढ़, बासंवाड़ा, डूंगरपुर इत्यादि में काफी वर्षा होती है, लेकिन दूसरी तरफ मारवाड़ के कई जिले यथा बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर एवं पाली में औसतन कम वर्षा दर्ज होती है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी जी की अवधारणा के अनुरूप यदि क्षेत्रीय नदी, नालों को गुरूत्वाकर्षण के सिद्धान्त के अनुसार जोड़ा जाता है तो असामान्य वर्षा के पानी को संरक्षित कर दूसरे कमी वाले क्षेत्रों में पहुंचाया जा सकता है।
राज्यपाल ने कहा कि ग्रामीण स्तर पर भी रेन वाटर हारवेस्टिंग स्ट्रक्चर बनाने हेतु सब्सिडी (अनुदान) दी जानी चाहिए ताकि वर्षा जल का अधिकतम संग्रहण किया जा सके। प्रधानमंत्री ग्राम आवास योजना में जैसे शौचालय की अनिवार्यता है, उसी तरह टांका/रेन वाटर हारवेस्टिंग स्ट्रक्चर का निर्माण भी अनिवार्य कर देना चाहिए ताकि बड़ी संख्या में पानी के सो्रत विकसित किये जा सकें। उन्होेंने कहा कि घरों में खासकर शहरी क्षेत्रों में पानी का अत्यधिक दुरूपयोग होता है। कम्पनियों को ऎसे नल बनाने हेतु बाध्य करना चाहिए, जिनमें तकनीक का उपयोग करते हुए कम मात्रा में पानी आये।

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