कोलंबो
श्रीलंका में गिरजाघरों और फाइव स्टार होटलों में रविवार को ईस्टर के मौके पर हुए आठ सीरियल बम धमाकों को शुरुआती जांच के आधार पर श्रीलंकाई मीडिया में कहा जा रहा है कि नेशनल तौहीद जमात नामक संगठन ने अंजाम दिया है। बम धमाकों में मरने वालों का आंकड़ा 290 तक पहुंच गया है, जबकि करीब 500 अन्य लोग घायल हैं। अभी तक यहां 13 लोगों की गिरफ्तारी हुई है।
शायद यह पहला मौका है कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया में नेशनल तौहीद जमात संगठन का नाम सुर्खियों में आया है।
नेशनल तौहीद जमात
नेशनल तौहीद जमात एक कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन है. हालांकि यह संगठन साल 2014 में ही अस्तित्व में आ गया था। साल 2014 में नेशनल तौहीद जमात के अस्तित्व में आने के साथ ही श्रीलंका के पीस लविंग मुस्लिम्स इन श्रीलंका संगठन ने इसे प्रतिबंधित करने की मांग शुरू कर दी थी। इसके लिए श्रीलंका सरकार के साथ संयुक्त राष्ट्र तक का दरवाजा खटखटाया था। हालांकि अभी तक नेशनल तौहीद जमात प्रतिबंधित नहीं हो सका है।
ये भी देखें- यूएई में पहले हिंदू मंदिर का शिलान्यास
नेशनल तौहीद जमात श्रीलंका में इस्लाम का विस्तार करना चाहता है. धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए वे कुछ भी करने को तैयार रहते हैं. ये लोग वहाबी विचारधारा को मानते हैं। दुनिया के ज्यादातर इस्लामिक देश वहाबी विचारधारा मानने वालों से दूरी बनाकर रखते हैं। माना जाता है कि वहाबी विचारधारा मानने वालों से नजदीकी का मतलब है कि आप इस्लाम की मौलिकता से दूर हो रहे हैं। वहाबी शुरू में उन लोगों को कहा गया जो मोहम्मद साहब के साथ सत्ता हासिल करना चाहते थे। आज इसकी कोई खास परिभाषा नहीं है, क्योंकि शियाओं के लिए आधे सुन्नी वहाबी है और सुन्नियो में सभी एक दूसरे के लिए वहाबी हैं और जो मोहम्मद बिन अब्दुल वहाब की विचारधारा के कुछ करीब थे उन्होंने 115 साल पहले ही इससे पल्ला झाड़ लिया था।
इस संगठन के सचिव अब्दुल रैजिक ने सार्वजनिक भाषण में बौद्ध धर्म और इसे मानने वालों को लेकर कई आपत्तिजनक बयान दिए थे। हिंसा भड़काने के आरोप में अब्दुल रैजिक को गिरफ्तार कर लिया गया था। वहाबी विचारधारा मानने वाले नेशनल तौहीद जमात से जुड़े लोग कट्टर होते हैं। इस संगठन में तालीम ही यही दी जाती है कि किसी भी तरह से धर्म का प्रचार-प्रसार करो। अगर इसमें कोई बाधा उत्पन्न करे तो हिंसा से गुरेज ना करें।
श्रीलंका की कुल आबादी 2.2 करोड़ में करीब 70 फीसदी बौद्ध धर्म मानने वालों की है. यहां 7.5 फीसदी ईसाई धर्म के लोग हैं। अल्पसंख्यक होने की वजह से ईयाइयों पर यहां अक्सर हमले होते रहते हैं। पूरी दुनिया में इस्लाम बनाम ईसाई की लड़ाई चलती आ रही है। ऐसे में नेशनल तौहीद जमात श्रीलंका के अल्पसंख्यक ईसाईयों को डराना-धमकाना चाहते हैं।
नेशनल तौहीद जमात का मकसद बम धमाकों के जरिए दुनिया के दूसरे देशों में रह रहे ईसाईयों को संदेश देना भी हो सकता है।