नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित 83 वर्षीय दलाईलामा ने अपना उत्तराधिकारी भारत से होने की बात कही थी। लेकिन चीन ने उनकी इस बात को खारिज किया हैं।
चीन ने कहा कि तिब्बती बौद्ध धर्म के अगले आध्यात्मिक नेता को चीन सरकार से मान्यता लेनी होगी।
चीन ने कहा कि तिब्बती बौद्ध धर्म के अगले आध्यात्मिक नेता को चीन सरकार से मान्यता लेनी होगी।
दलाई लामा की टिप्पणी के संदर्भ में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि पुन:अवतार तिब्बती बौद्ध धर्म का अनूठा तरीका है। इसका निश्चित अनुष्ठान और परंपरा हैं। उन्होंने कहा, ‘ चीन सरकार की धार्मिक आस्था की स्वतंत्रता की एक नीति है। हमारे यहां धार्मिक मामलों पर अपने कायदे-कानून हैं और तिब्बती बौद्ध धर्म में पुन: अवतार की परंपरा को लेकर भी कायदे-कानून हैं। हम तिब्बती बौद्ध धर्म के इन तरीके का सम्मान करते हैं और संरक्षण करते हैं।’
ये भी देखिए-ख़ुफ़िया एजेंसी ISI की शरण में आतंकी संगठन
तिब्बती लोगों के आध्यात्मिक नेता को दलाई लामा का उपाधि दी जाती है। गेंग ने कहा, ‘सैकड़ों साल से पुन: अवतार की पंरपरा है। 14वें दलाई की मान्यता भी धार्मिक रीति-रिवाज से हुई थी और केंद्र सरकार ने उन्हें मान्यता दी थी। दलाई लामा के पुन:अवतार को राष्ट्रीय नियम-कायदे और धार्मिक रीति-रिवाज का अनुसरण करना चाहिए।’ तिब्बत में 1959 विद्रोह भड़कने के बीच दलाई लामा मार्च में भागकर भारत आ गए थे।