दा एंगल
ढाका ।
रोहिंग्या मुसलमान बड़ी दिक्कतों में गुजर रहे हैं। म्यांमार उनको अपना नागरिक नहीं मानता है। इस कारण वो इनको अपने देश में नहीं रखना चाहता है। इनके साथ नौकरियों, स्वास्थ्य और शिक्षा में भी भेदभाव किया जाता है। म्यांमार की सेना इनके पर दमन भी करते है वो तीन बार म्यांमार से भागकर मलेषिया गए लेकिन उसको हर बार भगा दिया जाता है। वो जहाज में बैठकर मलेशिया जा रहे थे, लेकिन उनका जहाज ना तो मलेषिया पहुंचा और वो समुद्र में रास्ता भटक जाने की वजह से इधर-उधर ही भटकता रहा।
भूख से तड़प-तड़प कर हुई मौत
म्यामांर से मलेशिया जा रहे कम से कम 32 रोहिंग्या मुसलमानों की समुद्र में भूख से तड़प-तड़पकर मौत हो गई। बांग्लादेश के कोस्ट गार्ड ने बताया कि रोहिंग्या मुसलमानों का जहाज मलेशिया नहीं पहुंच पाया जिसकी वजह से ये लोग कई हफ्ते तक समुद्र में भटकते रहे। उन्होंने बताया कि 396 लोगों को बचा लिया गया है। इसमें से बड़ी संख्या में ऐसे लोग थे जिन्हें कई हफ्तों से खाना नहीं मिला था।
कोस्टगार्ड ने कहा कि ये रोहिंग्या मुसलमान करीब दो महीने से समुद्र के अंदर थे और भूख से तड़प रहे थे। अधिकारी ने बताया कि अंतिम फैसला यह लिया गया कि बचाए गए लोगों को पड़ोसी म्यामांर भेजा जाएगा। कोस्टगार्ड ने पहले कहा था कि 382 लोगों को बचाया गया है लेकिन बाद में उन्होंने बताया कि कुल 396 लोगों को बचाया गया है।
ज्यादातर महिलाएं और बच्चे बचाए
बताया जा रहा है कि बचाए गए लोगों में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं। इनमें से कई लोगों की हालत इतनी खराब हो गई थी कि उनकी सिर्फ हड्डयिां दिखाई दे रही थीं। कई ऐसे भी थे जो खड़े नहीं हो पा रहे थे। एक शरणार्थी ने बताया कि उनके ग्रुप को मलेशिया ने तीन बार वापस भेज दिया और एक बार तो जहाज के ऊपर ही चालक दल और यात्रियों के बीच झगड़ा हो गया।
दरअसल, म्यामांर रोहिंग्या मुसलमानों को अपना नागरिक नहीं मानता है। इसी वजह से उन्हें नौकरियों, स्वास्थ्य और शिक्षा में काफी भेदभाव का सामना करना पड़ता है। वर्ष 2017 में सेना ने रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ दमनचक्र चलाया था। इसके बाद हजारों की संख्या में लोग म्यामांर छोड़कर भाग गए थे। बताया जाता है कि वहां अभी भी हिंसा का दौर जारी है।