जदयू के पूर्व अध्यक्ष और बागी राज्य सभा सांसद शरद यादव को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार गुरुवार को शीर्ष अदालत ने उन्हें बतौर सांसद सरकारी आवास, वेतन-भत्ता और अन्य सुविधाएं (जैसे रेल और एयर टिकट) लेने की इजाजत देने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश में बदलाव कर दिया है. जस्टिस एके गोयल और जस्टिस अशोक भूषण की अवकाशकालीन बेंच ने कहा कि वे सरकारी आवास को छोड़कर वेतन, भत्ते और अन्य सुविधाएं नहीं ले सकते. हाई कोर्ट से उन्हें यह छूट राज्य सभा से अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ उनकी याचिका पर अंतिम फैसला आने तक मिली थी.
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार शीर्ष अदालत ने दिल्ली हाईकोर्ट को राज्य सभा से अयोग्य ठहराने के फैसले के खिलाफ शरद यादव की याचिका पर सुनवाई तेज करने का भी निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने जदयू के राज्य सभा सांसद रामचंद्र प्रसाद सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है. इसमें दिल्ली हाईकोर्ट के अंतरिम फैसले को चुनौती दी गई थी. इसके अलावा यह भी कहा गया था कि शरद यादव ने विपक्षी दलों से हाथ मिलाकर पार्टी के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया है, इसलिए उनकी सदस्यता रद्द कर दी जानी चाहिए. बीते साल बिहार में जदयू के महागठबंधन से अलग होने के फैसले के खिलाफ शरद यादव ने पार्टी से बगावत कर दी थी.
राज्य सभा के सभापति और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने जदयू के आवेदन पर चार दिसंबर, 2017 को बागी सांसद शरद यादव और अली अनवर की सदस्यता रद्द कर दी थी. इस फैसले को शरद यादव ने विभिन्न आधारों पर दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दे दी थी. इनमें से एक आधार फैसला सुनाने से पहले उन्हें बात रखने के लिए मौका न दिया जाना शामिल था. हालांकि, राज्य सभा के सभापति के फैसले पर रोक लगाने से इनकार करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में अंतिम फैसला आने तक उन्हें वेतन, भत्ता, सरकारी आवास और अन्य सुविधाएं लेने की इजाजत दे दी थी.