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Maharana Pratap Jayanti: एक ऐसा योद्धा जो किसी के आगे कभी नहीं झुका

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जयपुर। अपनी वीरता, बहादुरी और हल्दीघाटी के युद्ध के लिए प्रसिद्ध महाराणा प्रताप की आज 479वीं जयंती मनाई जा रही है। इतिहास के पन्नों में अपनी वीरता और दृढ़ प्रण के लिए अमर कहलाने वाले महाराणा प्रताप मेवाड़ के 13वें राजपूत राजा थे, जिनका जन्म मेवाड़ के शाही राजपूत घराने में 9 मई 1540 को हुआ था। उनका जन्म राजस्थान के कुंभलगढ़ में महाराणा उदयसिंह एवं माता जयवंत के घर हुआ था। महान योद्धा महाराणा प्रताप से जुड़ी इन बातों को जानकर आपको भी गर्व होगा।

1.महाराणा प्रताप और अकबर के बीच 18 जून, 1576 ई. को हल्दीघाटी का युद्ध लड़ा गया था। इसे एक विनाशकारी युद्ध माना जाता है। इस लड़ाई में महाराणा के पास 20000 सैनिक और अकबर के पास 85 हजार की फौज थी। लेकिन उसके बाद भी अकबर को जीत नहीं मिली।

2. भगवान एकलिंगजी की कसम खाकर महाराणा प्रताप ने प्रतिज्ञा ली थी। वे अकबर को जिंदगीभर बादशाह न बुलाकर तुर्क नाम से बुलाएंगे। अकबर ने महाराणा प्रताप को समझाने के लिए 4 शांति दूत को भेजा था। लेकिन उन्होंने अकबर के प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया।

3. महाराणा प्रताप के सबसे प्रिय घोड़े का नाम ‘चेतक’ था। चेतक अपने मालिक को बेहद प्यार करता था। कहतें हैं जब युद्ध में महाराणा प्रताप घायल हो गए तो चेतक उन्हें अपनी पीठ पर लेकर कई फुट लंबे नाले को पार कर गया था। लेकिन उसके बाद चेतक ने अपना प्राण त्याग दिया था। आज भी हल्दी घाटी में वफादार चेतक की समाधि मौजूद है।

4. महाराणा प्रताप लड़ाई के समय 72 किलो का कवच पहनकर 81 किलो का भाला अपने हाथ में रखते थे। बता दें कि भाला, कवच और ढाल-तलवार का वजन कुल मिलाकर 208 किलो का होता था।

5. महाराणा प्रताप ने कई वर्षों तक मुगलों के सम्राट अकबर की सेना के साथ संघर्ष किया। दुश्मन भी उनके युद्ध-कौशल के कायल थे। महाराणा प्रताप का हल्दी घाटी के युद्ध के बाद का समय पहाड़ों और जंगलों में ही व्यतीत हुआ।

6. महाराणा प्रताप अपने महल को छोड़ वो 20 साल मेवाड़ के जंगलो में रहें। इस दौरान वे अपने सैनिकों के साथ घास की रोटी खाते थे। लेकिन उसके बाद भी वे अकबर के आगे झुके नहीं। अकबर ने एक बार कहा था की अगर महाराणा प्रताप और जयमल मेड़तिया मेरे साथ होते तो हम विश्व विजेता बन जाते।

7. शिकार के दौरान लगी चोटों की वजह से महाराणा प्रताप 29 जनवरी 1597 को चावंड में वीरगति को प्राप्त कर गए। कहते हैं जब जब महाराणा प्रताप के देहांत की खबर अकबर ने सुना तो उनकी बहादुरी को याद कर के वो भी रो पड़ा था।

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