भोपाल।
तिरंगा और सीहोर की मिट्टी लेकर रवाना हुई सीहोर जिले के भोज नगर की 25 वर्षीय मेघा परमार ने विश्व की सबसे ऊंची 8860 मीटर की ऊंचाई वाले एवरेस्ट शिखर पर तिरंगा फहराकर एवरेस्ट समिट कंपलीट किया। जिसके बाद ऐसा करने वाली वह प्रदेश की पहली महिला बन गई हैं।
मेघा परमार कैंप नंबर 4 से एवरेस्ट समिट अपने तीन साथियों और गाइड रत्नेश पांडे के साथ निकली थी। लेकिन, कैंप से एवरेस्ट शिखर के बीच ग्रुप में शामिल तीन साथियों की सेहत बिगड़ गई। मजबूरन तीनों को एवरेस्ट समिट कंपपलीट किए बिना लौटना पड़ा।
एवरेस्ट के शिखर पर पहुंचने की जिद ने पहाड़ पर बिछी बर्फ की सफेद चादर और तेज बर्फीली हवाओं से सफर की बाधाओं को हरा दिया।
एवरेस्ट के शिखर पर पहुंचने की जिद ने पहाड़ पर बिछी बर्फ की सफेद चादर और तेज बर्फीली हवाओं से सफर की बाधाओं को हरा दिया।
मेघा परमार बीते साल भी माउंट एवरेस्ट समिट करने गई थी। लेकिन, 8848 मीटर की ऊंचाई से महज 100 मीटर पहले सेहत बिगड़ने के कारण 8100 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचने के बाद लौटना पड़ा था। सेहत सुधरने के बाद मेघा ने दोबारा एवरेस्ट समिट की तैयारी की। मनाली में ट्रेनिंग के दौरान ऊंचाई से गिरने के कारण रीढ़ की हड्डी में तीन फ्रेक्चर हुए। इलाज कर रहे डॉक्टर्स ने मेघा को एवरेस्ट समिट का सपना छोड़ने और पहाड़ नहीं चढ़ने की सलाह दी। लेकिन, एवरेस्ट शिखर छूने का सपना पूरा करने फ्रेक्चर ठीक होने के बाद दोबारा माउंटेनिंग प्रैक्टिस शुरू की।
मेघा के पिता दामोदर परमार किसान हैं और मां मंजू देवी गृहिणी। मेघा को माउंट एवरेस्ट समिट की प्री ट्रेनिंग मध्यप्रदेश के पर्वतारोही रत्नेश पांडे ने दी थी।