जयपुर।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के इस्तीफे पर फैसला होने के बाद से ही राजस्थान में राजनीतिक नियुक्तियों पर निर्णय हो पाएगा। लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद बड़ा सवाल यह है कि किस नेता ने अपने क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी को बढ़त दिलाने का काम किया है, जिसके आधार पर राज्य सरकार की ओर से उसे पद देकर नवाजा जाए।
विधानसभा चुनाव के बाद ही कांग्रेस में राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर चर्चा शुरू हो गई थी। तब यह कह कर मना कर दिया गया था कि कुछ लोगों को राजनीतिक नियुक्तियां देने से दूसरे लोग नाराज हो जाएंगे, जिससे लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को नुकसान हो जाएगा। ऐसे में जब कांग्रेस की लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक हार हो गई हैं। कांग्रेस ज्यादा विधानसभा क्षेत्रों में हार चुकी हैं। उस स्थिति में किन नेताओं को पद देकर नवाजा जाए। कौन सा ऐसा नेता हैं, जिसने अपने क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी के लिए बढ़त दिलाने का काम किया हैं, जिसे पद देकर सम्मान देने का काम किया जाए।
इसको लेकर राज्य सरकार से लेकर संगठन तक में असमंजस की स्थिति बनी हुई हैं। सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी की ओर से जब तक इस्तीफे का फैसला नहीं हो जाता, तब तक राजस्थान में राजनीतिक नियुक्तियों पर कोई फैसला नहीं होगा। संभव है कि निकाय चुनाव में नए सिरे से नेताओं के प्रदर्शन का आंकलन किया जाएगा। उसके आधार पर उन्हें राजनीतिक नियुक्तियां की जा सकती हैं। यह भी कहा जा रहा है कि निकाय चुनाव से पहले राजनीतिक नियुक्तियां करने में कई तरह के खतरे हैं। इसे सरकार और संगठन दोनों स्तर पर महसूस किया जा रहा हैं। गौरतलब है कि प्रदेश में लगभग 10 हजार पदों पर राजनीतिक नियुक्तियां की जानी है।