नई दिल्ली: जिस उम्र में बच्चे अच्छी तरह बोल भी नहीं सकते हैं। बच्चे अपने माता-पिता की उंगुली पकड़कर स्कूल जाते हैं। 8 वर्ष की उम्र में एक ऐसा वंडर बॉय है जो मेडल जीतने में व्यस्त है। यहां बात हो रही है पिथौरागढ़ के दिव्यांश जोशी की। वह निशानेबाजी रेंज पर कड़ी मेहनत कर रहे हैं ताकि अपनी बहन की तरह भविष्य में भारत की पदक उम्मीद बन सकें। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में कक्षा 4 के छात्र दिव्यांश ने इंटर स्कूल और इंटर कॉलेज राज्य स्तरीय निशानेबाजी स्पर्धा में 50 मीटर राइफल प्रोन में स्वर्ण पदक जीता है।
दिव्यांश की बड़ी बहन यशस्वी राष्ट्रीय स्तर की निशानेबाज हैं और अभी तक विभिन्न राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर के टूर्नमेंटों में 4 स्वर्ण समेत 16 पदक जीत चुकी हैं। अपने पिता मनोज जोशी के मार्गदर्शन में निशानेबाजी के गुर सीख रहे दोनों भाई बहन ने अक्टूबर में भोपाल में होने वाले राष्ट्रीय स्कूली खेलों के लिए क्वॉलिफाइ कर लिया है। यशस्वी ने 25 मीटर पिस्टल में स्वर्ण और 10 मीटर पिस्टल में कांस्य पदक जीता।
लोग होते हैं हैरान
मनोज जोशी ने कहा कि ‘पिछले एक साल से दिव्यांश ने अपनी बहन को देखकर निशानेबाजी शुरू की। लोग हैरान हो जाते थे कि इतना छोटा लड़का राइफल कैसे उठा लेता है। वैसे वह प्रोन पोजिशन में खेलता है लेकिन अब ‘हैंड होल्ड’ करने लगा है। उसने 200 में से 168 अंक लेकर स्वर्ण जीता।’
3 घंटे रोजाना प्रैक्टिस
‘पिस्टल किंग’ जसपाल राणा को अपना आदर्श मानने वाले दिव्यांश के शेड्यूल के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘वैसे तो हमने घर में भी एक रेंज बनाई हुई है, लेकिन फायर आर्म रेंज अलग है जहां कुल 13 बच्चे अभ्यास करते हैं। दिव्यांश सुबह एक घंटा और शाम को दो घंटा रेंज पर बिताता है और बहुत तेजी से सीख रहा है।’