पिछले तीन महीनों में महाराष्ट्र के 639 किसानों ने मौत को गले लगाया है. यह जानकारी खुद प्रदेश के राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने विधानपरिषद में दी है. गौरतलब है कि विधानपरिषद में विपक्ष के नेता धनंजय मुंडे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के कुछ सदस्यों ने इस बारे में सरकार से जानकारी चाही थी जिसके जवाब में मुंडे ने यह आंकड़ा पेश किया. पाटिल ने बताया कि राज्य के अधिकतर किसानों ने ऋण की वजह से भारी दवाब और फसलों के बर्बाद होने की वजह से आत्महत्या जैसा फैसला लेने को मजबूर हुए.
पाटिल के अनुसार इन 639 में से 188 किसानों को सरकार की अलग-अलग योजनाओं के तहत मुआवजा दिया जाना तय किया गया था. इनमें से 174 किसान ऐसे थे जिनके परिवारों को मुआवजा दिया जा चुका है. फसलों के ख़राब होने, कर्ज़ का बोझ बढ़ जाने और उसे चुका पाने में सक्षम न होने की स्थितियों में विभिन्न योजनाओं के तहत हर्ज़ाना दिए जाने का प्रावधान है. वहीं इन सभी मृतक किसानों में से 122 किसानों को सरकार ने अलग-अलग कारणों के चलते हर्जाने के योग्य नहीं माना था. जबकि बाकी 329 किसानों के मामलों की जांच की जानी बाकी है.
हालांकि विपक्ष सरकार के इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ है. विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने किसानों के हित में जितनी भी योजनाओं के दावे किए हैं वे सभी असफल साबित हुई हैं. यही कारण है कि पिछले चार साल में राज्य के तेरह हजार से ज्यादा किसानों ने खुदक़ुशी कर ली. इनमें से पंद्रह सौ किसानों ने पिछले एक साल में अपनी जान ली है.