द एंगल।
नई दिल्ली।
अभिजीत बनर्जी विनायक एस्थर डुफलो और माइकल क्रेमर को अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया गया है। अर्थशास्त्र में पुरस्कार विजेताओं का चयन रॉयल स्वीडिश अकैडमी ऑफ साइंसेज करती है। इस साल नोबेल पुरस्कार से नवाजी गई 3 शख्सियतों में से एक अभिजीत विनायक बनर्जी भारतीय मूल के हैं। अभिजीत एक अमेरिकन अर्थशास्त्री हैं। अभिजीत अभी मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अर्थशास्त्र के फोर्ड फाउंडेशन इंटरनेशनल प्रोफेसर हैं।
बनर्जी का अब तक का सफर-
वे भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री हैं। उनका जन्म कोलकाता 21 फरवरी 1961 को हुआ था। उनकी मां का नाम निर्मला बनर्जी और पिता दीपक बनर्जी हैं। मां निर्मला सेंटर फॉर स्टडीज इन सोशल साइंसेज में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर रह चुकी हैं, जबकि पिता दीपक कलकत्ता के प्रसिडेंट कॉलेज में अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष थे।अभिजीत विनायक बनर्जी ने कलकत्ता यूनिवर्सिटी और जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की हैं। उन्होंने 1988 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी की। वह अभी मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अर्थशास्त्र के फोर्ड फाउंडेशन इंटरनेशनल प्रोफेसर हैं।
अभिजीत की पत्नी को भी मिल रहा नोबेल
अभिजीत बनर्जी ने एमआईटी की लेक्चरार डॉक्टर अरुणधति तुली बनर्जी से विवाह किया था, लेकिन बाद में उनका तलाक हो गया। इसके बाद अभिजीत ने साल 2015 में अर्थशास्त्री एस्थर डफलो के साथ विवाह किया। अभिजीत के साथ एस्थर को भी संयुक्त रूप से इस बार अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया गया है। साल 2003 में उन्होंने एस्थर डुफ्लो और सेंधिल मुलाइनाथन के साथ मिलकर अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी एक्टशन लैब (J-PAL) की स्थापना की और वह लैब के निदेशकों में से एक हैं।
BREAKING NEWS:
The 2019 Sveriges Riksbank Prize in Economic Sciences in Memory of Alfred Nobel has been awarded to Abhijit Banerjee, Esther Duflo and Michael Kremer “for their experimental approach to alleviating global poverty.”#NobelPrize pic.twitter.com/SuJfPoRe2N— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 14, 2019
वे ब्यूरो फॉर द रिसर्च इन द इकनॉमिक एनालिसिस ऑफ डेवलेपमेंट के पूर्व अध्यक्ष्ज्ञ, अमेरिकी अकेडमी ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेस और द इकनॉमेट्रिक सोसाइटी के रिसर्च एसोसिएट रह चुके हैं। इसके अलावा वह काइल इंस्टीट्यूट के इंटरनेशनल, गुगेनहियम और अल्फ्रेड पी सोलान के फेलो भी रह चुके हैं। वह इंफोसिस प्राइज के विजेता भी हैं। उनकी किताब ‘पुअर इकनॉमिक्स’ को गोल्डमैन सैश बिजनेस बुक ऑफ द ईयर का खिताब मिल चुका है। वह संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 2015 के बाद के विकास एजेंडा के लिए बनाए गए अग्रणी लोगों केक हाई-लेवल पैनल के सचिव भी रह चुके हैं।