दा एंगल।
जयपुर।
सहकारिता विभाग प्रदेश में चल रहे प्राथमिक भूमि विकास बैंक को लेकर बड़ा फैसला कर सकता है। सहकारी विभाग के रजिस्ट्रार नीरज के. पवन की अध्यक्षता में इसको लेकर कोई बड़ा फैसला किया जा सकता है। केन्द्र सरकार की तर्ज पर राज्य सरकार भी इनको बंद करके उन्हें केंद्रीय सहकारी बैंक में मर्ज कर सकती है।
बैंक की माली हालत खराब
इस समय प्रदेश में 36 प्राथमिक बैंक संचालित हैं। यह बैंक आर्थिक हालात से जूझ रहे हैं। राज्य के कृषकों को उनके कृषि विकास के साथ ग्रामीण विकास की आवश्यकताओ की पूर्ति के लिए प्राथमिक बैंकों के का गठन हुआ था। इन बैंकों के माध्यम से विभिन्न प्रकार के ऋण एवं क्रेडिट निर्धारित ऋण नीति के तहत मुहैया कराना। राज्य में भूमि विकास बैंकों का संघीय संगठन है, राज्य स्तर पर राज्य भूमि विकास बैंक है जिसकी स्थापना 26 मार्च 1957 को हुई थी। जिला स्तर पर प्राथमिक भूमि विकास बैंक कार्यरत है।
प्रदेश में बैंक की 133 शाखाएं
राज्य के 33 जिलो में 36 भूमि विकास बैंक अपनी 133 शाखाओ के माध्यम से दीर्घकालीन ऋण वितरित किये जा रहे है। राज्य के कृषकों को उनके कृषि विकास के साथ ग्रामीण विकास की आवश्यकताओ की पूर्ति के लिए इन बैंकों के माध्यम से विभिन्न प्रकार के ऋण एवं क्रेडिट निर्धारित ऋण नीति के तहत मुहैया कराना है। लेकिन कुछ समय से इन बैंकों में लेन-देन कम होने से और किसानों को उनके फसलों के सही दाम नहीं मिलने के कारण इन बैंकों में कम निवेश हो रहा था। जिससे इन बैंकों की आर्थिक स्थिति में दिनोंदिन कमी आती रही और माली हालत खराब हो गई है। इन बैंकों की माली हालत को देखते हुए रजिस्ट्रार नीरज के. पवन ने इनको केन्द्रीय सहकारिता बैंक में मर्ज करने का निर्णय लिया है। इसको लेकर एक बैठक हुई। बैठक में प्रमुख सचिव नरेशपाल गंगवार और एसएलडीबी एमडी जितेन्द्र शर्मा भी मौजूद रहे।