द एंगल।
कैनबेरा।
ऑस्ट्रेलिया में आज के अख़बारों का पहला पन्ना काला है उस पर कोई ख़बर या विज्ञापन नहीं छापा गया है। ऑस्ट्रेलिया के अख़बारों ने गोपनियता से जुड़े क़ानून का विरोध करने के लिए यह फ़ैसला किया है। अख़बारों का कहना है कि यह क़ानून लोगों के सूचना के अधिकार का हनन तो है ही साथ ही पत्रकारिता को अपराध की श्रेणी में रख देता है। इस क़ानून को ऑस्ट्रेलिया के सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है जिस पर फ़ैसला आना अभी बाक़ी है। इस क़ानून के तहत जाच एजेंसियों ने जून महीने में ऑस्ट्रेलिया के न्यूज़ समूह एबीसी के मुख्यालय पर छापा मारा था।
अख़बारों की लड़ाई-
दरअसल ऑस्ट्रेलिया में एक व्हिसल ब्लोअर ने ऑस्ट्रेलियन सीक्रेट एजेंसी से जुड़ी एक ख़बर मीडिया को दी थी। रिचर्ड बॉयल नाम के इस व्यक्ति को इस क़ानून के तहत सज़ा मिलने पर 161 साल की जेल हो सकती है। इस व्हिसल ब्लोअर ने जानकारी दी थी कि 2004 में एक सौदे की बातचीत पर नज़र रखने के लिए ऑस्ट्रेलियन इंजेलिजेंस एजेंसी ने अधिकारियों के दफ्तर में कैमरे और माइक फिट किए थे।
अख़बारों का ये है कहना
अख़बारों का कहना है कि पत्रकारों को इस क़ानून के दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए। फ़िलहाल इस क़ानून के तहत पत्रकारों को भी जेल हो सकती है। अख़बारों का कहना है कि इस क़ानून की वजह से पत्रकार अपना काम नहीं कर पाएंगे। इसके साथ ही अख़बारों के समूहों ने यह मांग भी रखी है कि सरकारी विभागों में काम करने वाले व्हिसल ब्लोअर भी इस क़ानून की वजह से जेल जा सकते हैं। अख़बारों ने मांग की है कि एक क़ानून लाकर पत्रकारों और व्हिसल ब्लोअर को सुरक्षा दी जानी चाहिए।