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सोशल मीडिया के दुरुपयोग रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

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दा एंगल।
नई दिल्ली।

आधुनिक युग सोशल मीडिया के बिना अधूरा सा लगता है। आज सभी लोग सोशल मीडिया से कनेक्ट होने से दुनिया में दूरी सिमट से गई है। लेकिन जहां इसमें अच्छाई है वहीं इसमें कुछ बुराइया आ गई है। कुछ लोग इस इसका दुरुपयोग करने लग गए हैं। साथ ही इस प्लेटफॉर्म ऐसे कंटेंट पोस्ट किए जाते हैं, जो देश के खिलाफ होते हैं।

वहीं अब इस प्रोफाइलों को आधार से जोड़ने संबंधी लंबित मामलों को अपने पास स्थानांतरित किया है। इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होगी। सुनवाई जनवरी 2020 के आखिरी सप्ताह में हो सकती है। गौरतलब है कि सोशल मीडिया अकाउंट को आधार से जोड़ने से संबंधित याचिकाएं मद्रास, मध्य प्रदेश और बॉम्बे हाई कोर्ट में लंबित थीं।

सोशल मीडिया पर हेट स्पीच फैलाने वालों पर होगी कड़ी कार्रवाई

अब भारत सरकार नए साल की शुरुआत में ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हेट स्पीच को फैलाने वालों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करने जा रही है। दरअसल, मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन ने इस पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दायर किया है। इस एफिडेविट में कहा गया है कि साइट्स पर हेट स्पीच समेत अन्य कार्यों पर लगाम लगाने के लिए नियम बनाए जाएं, जिससे यह प्लेटफॉर्म सुरक्षित और बेहतर बन सके।

सरकार लाएगी 15 जनवरी को नए नियम

भारत सरकार ने अपने एफिडेविट में कहा है कि हम फेसबुक, इंस्टाग्राम और टविटर जैसे प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किए गए कंटेंट को लेकर विचार कर कर रहे है कि इसका जिम्मेदार सोशल मीडिया प्रोवाइडर है या नहीं। इसके साथ ही सरकार ने आगे कहा है कि हम इसके लिए 15 जनवरी 2020 से नए नियम लेकर आएंगे और साथ ही प्रोवाइडर्स को भी इसकी जानकारी देंगे।
रिपोर्ट्स के अनुसार, टेक्नोलॉजी और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने देश के विकास में अपना अहम योगदान दिया है। वही दूसरी तरफ इन प्लेटफॉर्म पर हेट स्पीच, फर्जी खबर, पब्लिक ऑर्डर और देश विरोधी गतिविधियां भी देखने को मिली हैं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने सरकार को तीन सप्ताह के भीतर इसके लिए नए गाइडलाइन लाने को कहा था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सोशल मीडिया कंपनी किसी भी फेक न्यूज की पहचान नहीं कर पाती हैं। वहीं, भारत सरकार को इस स्थिति को ध्यान में रखकर समाधान निकालना होगा। इसके साथ ही इसकी सुरक्षा के लिए पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन कोर्ट में दर्ज किए जा चुके हैं।

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