दा एंगल।
चंडीगढ़।
हरियाणा में भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिला। इसको लेकर राजनीतिक हलकों में कई तरह की चर्चाएं जोरों पर है। किसी के भी यह गले नहीं उतर रही है आखिर क्यों भाजपा को हरियाणा में पूर्ण बहुमत नहीं मिला। चुनाव से पहले से पार्टी अब की बार 75 पार का नारा दे रही थी, लेकिन उसके हिस्से आई केवल 40 सीटें। मीडिया और राजनीतिक विश्लेषकों ने इसके लिए कई कारणों को जिम्मेदार ठहराया।
हरियाणा में जाट नहीं थे भाजपा से नाराज
प्रदेश में भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने पर मीडिया और कई राजनीतिक दल इसके लिए जाटों की नाराजगी को जिम्मेदार ठहरा रहे हंै। दरअसल, 2016 में जाटों का ओबीसी की मांग को लेकर जबरदस्त आंदोलन हुआ था। जाट आरक्षण की मांग को लेकर राज्य में जबरदस्त हिंसा हुई थी। लेकिन राजनीतिक जानकारों की मानें तो ऐसी कोई बात नहीं थी।
टिकट वितरण में हुई गड़बड़ी
प्रदेश में तो विधानसभा चुनाव में अनुच्छेद 370 का कोई असर नहीं हुआ। ऐसा नहीं था। लेकिन भाजपा के ही भीतर से जो बातें निकल कर आ रही हैं, उनसे पता चला है कि हरियाणा में जाट, मोदी से नाराज नहीं थे। अनुच्छेद 370 हटाने का भी यहां के लोगों ने दिल खोलकर स्वागत किया था। दरअसल, हरियाणा में भाजपा का कारण जाटों की नाराजगी नहीं थी, बल्कि भाजपा में टिकट वितरण में हुई गड़बड़ी के कारण हार का मुंह देखना पड़ा।
दरअसल, भाजपा नेता मोदी की भावनात्मक आंधी में बह गए। उन्हें लगा कि टिकट जिस किसी को दे दो, वह लोकसभा चुनाव की भांति मोदी की आंधी में पार हो जाएगा। दूसरा, भाजपा में नेताओं की आपसी कटुता। कटुता का परिणाम यह रहा कि जब चुनाव परिणाम घोषित हुए तो पार्टी का ग्राफ 40 सीटों पर आकर ठहर गया।
दरअसल, हरियाणा में भाजपा के कमजोर का प्रदर्शन का कारण अधिकांश मीडिया और राजनीतिक विश्लेषक जाटों की नाराजगी को बताया रहे हैं। जबकि विधानसभा में हार जाटों की मोदी के खिलाफ नाराजगी न होकर, हरियाणा में चुनाव की बागडोर संभाल रहे भाजपा नेताओ की महत्वाकांक्षा और उनके कुप्रबंधन का नतीजा थी।
हरियाणा विधानसभा चुनाव में ले डूबी आपसी फूट
भाजपा के एक राष्ट्रीय महामंत्री कहना था कि यदि हम हरियाणा विधानसभा के नतीजों को भाजपा के प्रति जाटों की नाराजगी मानें तो यह पूर्णतया गलत होगा। वजह, यदि ऐसा होता तो 2019 के लोकसभा चुनावों में लगभग 72 विधानसभा सीटों पर भाजपा ने बढ़त बनाते हुए प्रदेश की सभी दस लोकसभा सीटों पर जीत न दर्ज कराई होती। खास बात है कि 2019 के लोकसभा तथा विधानसभा चुनाव के बीच पीएम मोदी ने ऐसा कोई निर्णय नही लिया, जिस कारण जाट समुदाय भाजपा से नाराज होता। बल्कि हरियाणा में चुनाव हारने का मुख्य कारण भाजपा की आपसी गुटबाजी था।