The Angle
जयपुर।
प्याज की कीमतों में तमाम प्रयासों के बाद भी फिलहाल तो नरमी के कोई आसार नज़र नहीं आ रहे हैं। कीमतों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। इसी बीच महाराष्ट्र के सोलापुर में प्याज के दाम 200 रुपए प्रति किलो को पार कर गए हैं। बताया जा रहा है कि दिनोंदिन आसमान छू रही कीमतों की वजह प्याज की पर्याप्त अनुपलब्धता है। व्यापारियों का कहना है कि इस महीने के अंत तक कीमतें ऊंची बनी रह सकती हैं। हालांकि, दूसरे बाजार में कीमत इससे कम है। नासिक के लासलगांव एपीएमसी में नए प्याज का भाव अधिकतम 100 रुपये प्रति किलोग्राम चल रहा है। औसत कीमत 70 रुपये प्रति किलोग्राम है। नए प्याज को लाल प्याज भी कहा जाता है। बता दें लासलगांव प्याज की एशिया की सबसे बड़ी मंडी है।
प्याज की कीमतों पर होगा रिसर्च
प्याज की आसमान छूती कीमत पर आईआईटी बीएचयू का एग्री-बिजनेस इनक्यूबेटर व बीएचयू का कृषि विज्ञान संस्थान शोध करेगा। कीमतों में वृद्धि के कारणों का पता लगाकर उसका निवारण किया जाएगा। क्योंकि प्याज की बढ़ी कीमत से किसानों की बजाय बिचौलियों को लाभ होता है। इस शोध में उन सभी बिंदुओं पर रिसर्च की जाएगी जो बढ़ी हुई कीमतों के लिए जिम्मेदार हैं। साथ ही इस प्रवृत्ति को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए आईआईटी समाधान भी ढूंढेगा। आईआईटी एग्री-बिजनेस इनक्यूबेटर सेंटर के हेड तथा केमिकल इंजीनियरिंग के विभागाध्यक्ष प्रो. पीके मिश्रा ने कहा कि प्याज की कीमतों में समय-समय पर हो रही बढ़ोतरी चिंता का विषय बना हुआ है।
प्याज की बढ़ती कीमतों के पीछे बिचौलियों का हाथ
इसके सभी कारकों का पता लगाने के लिए शोध की आवश्यकता है। प्रो मिश्रा ने कहा कि कृषि-अर्थशास्त्र के विशेषज्ञों के सहयोग से एग्री-बिजनेस इनक्यूबेटर इस पर शोध करेगा। उन सभी कारकों को खोजने के बाद, इनका विश्लेषण किया जाएगा और एक ठोस समाधान निकाला जाएगा। कृषि विज्ञान संस्थान के एग्रीइकोनॉमिक्स के विभागाध्यक्ष प्रो. राकेश सिंह ने कहा, कि इस तरह की मूल्य वृद्धि पर पहले भी शोध हुए हैं, जो यह बताते हैं कि मूल्य वृद्धि के पीछे बिचौलियों का हाथ होता है। हम इस समस्या के समाधान के लिए एक प्रभावी मार्केटिंग मॉडल भी विकसित करेंगे।