फर्नांडिस ने 1977 का लोकसभा चुनाव जेल में रहते हुए ही मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट से रेकॉर्ड मतों से जीता था। जनता पार्टी की सरकार में उद्योग मंत्री भी बने। हालांकि जल्द ही जनता पार्टी टूटी और फर्नांडिस ने अपनी पार्टी समता पार्टी बनाई। इसी दौर में वह बीजेपी के अधिक करीब आए। फर्नांडिस ने अपने राजनीतिक जीवन में उद्योग, रेल और रक्षा मंत्रालय संभाला। वाजपेयी सरकार में परमाणु परीक्षण के वक्त वह रक्षा मंत्री थे। बतौर रेल मंत्री उन्हें कोंकण रेलवे को शुरू करने का भी श्रेय दिया जाता है।
विद्रोह और बगावत थी शुरुआती राजनीति की पहचान
जॉर्ज फर्नांडिस की शुरुआती छवि एक मुखर विद्रोही नेता की थी। मुंबई में शुरुआती राजनीतिक जीवन के बारे में उन्होंने कई इंटरव्यू में बताया था कि वह कभी-कभी चौपाटी पर सोते थे और और फुटपॉथ से ही खाना खाते थे। धार्मिक शिक्षा लेने के लिए उन्हें 16 साल की उम्र में चर्च भेजा गया, लेकिन युवा जॉर्ज का मन वहां रमा नहीं। वह बॉम्बे (अब मुंबई) चले आए और सोशलिस्ट आंदोलनों से जुड़ गए। 50 के दशक में वह टैक्सी चालकों के आंदोलनों के बड़े तेज-तर्रार नेता बनकर उभरे।
देशव्यापी रेल हड़ताल को दिया था अंजाम
शुरुआती राजनीतिक जीवन में जॉर्ज तीखे बागी तेवरों वाले मजदूरों कामगारों के नायक के तौर पर उभरे। उन्हीं के नेतृत्व में 8 मई 1974 को देशव्यापी रेल हड़ताल का ऐलान किया गया था। इस आंदोलन को कुचलने के लिए तत्कालीन इंदिरा सरकार ने बेहद सख्ती दिखाई, लेकिन जॉर्ज को देश में बड़ी पहचान जरूर मिली।