1999 के पाकिस्तान के साथ हुए करगिल युद्ध में अहम भूमिका निभाने के साथ ही भारतीय वायुसेना में तीन दशक से अधिक समय तक सेवा में रहने वाले लड़ाकू विमान मिग -27 विमान ने शुक्रवार को अपनी आखरी उड़ान भरी। अधिकारियों ने बताया कि स्विंग-विंग लड़ाकू विमान वायुसेना में कई दशकों तक ‘ग्राउंड अटैक’ बेड़े में अहम भूमिका में रहे हैं।
भरी अपनी आखरी उड़ान-
राजस्थान के जोधपुर एयरबेस में 7 लड़ाकू विमानों ने अपनी आखिरी उड़ान भरी। इस दौरान वायुसेना के कई बड़े अधिकारी मौजूद रहे। विदाई के दौरान मिग-27 को सलामी भी दी गई। मिग-27 ने तीन दशक तक भारत की वायुसेना की सेवा की।
#AdieuMiG27 तीन दशक से अधिक की उल्लेखनीय सेवा के बाद, भारतीय वायु सेना का मिग-27 लड़ाकू विमान कल वायु सेना स्टेशन, जोधपुर से एक भव्य समारोह में डीकमीशन किया जा रहा है। pic.twitter.com/qRWaICjej4
— Indian Air Force (@IAF_MCC) December 26, 2019
बता दें कि सात लड़ाकू विमानों वाले इस स्क्वाड्रन को 31 मार्च 2020 को नम्बर प्लेटेड किया जाएगा। जोधपुर एयरबेस पर हुई इस डी-इंडक्शन सेरेमनी में वायुसेना के कई अधिकारी मौजूद रहे। वायुसेना में अब मिग-27 की जगह मिग-21 लड़ाकू विमान ने ले ली है।
जमीनी हमला करने में माहिर –
तीन दशक से अधिक की उल्लेखनीय सेवा के बाद, भारतीय वायु सेना का मिग-27 लड़ाकू विमान वायु सेना स्टेशन, जोधपुर से एक भव्य समारोह में डीकमीशन किया गया। भारतीय वायु सेना के बेड़े में 1985 में शामिल किया गया यह अत्यंत सक्षम लड़ाकू विमान ज़मीनी हमले की क्षमता का आधार रहा है। वायु सेना के सभी प्रमुख ऑपरेशन्स में भाग लेने के साथ मिग-27 नें 1999 के कारगिल युद्ध में भी एक अभूतपूर्व भूमिका निभाई थी।
बता दें कि भारतीय वायुसेना में स्क्वाड्रन 29 इकलौती यूनिट है जो मिग-27 के अपग्रेड वैरिएंट का अब तक इस्तेमाल करती आ रही है। मिग 27 का 2006 का उन्नत वैरिएंट आखिरी स्क्वाड्रन में अब तक सक्रिय रहा है। मिग सीरीज के अन्य वैरिएंट, मिग-23 BN और मिग-23 MF और विशुद्ध मिग 27 पहले ही भारतीय वायु सेना से रिटायर हो चुके हैं।
जोधपुर में भारतीय वायुसेना के स्टेशन पर शुक्रवार को हुई इस डी-इंडक्शन सेरेमनी में कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। इस समारोह की अध्यक्षता दक्षिण पश्चिमी एयर कमांड के एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ एयर मार्शल एस के घोटिया ने की।