The Angle
जयपुर।
पूरे उत्तर भारत में इन दिनों कड़ाके की ठंड पड़ रही है। पहाड़ी इलाकों में जहां जबरदस्त बर्फबारी से लोगों का हाल बेहाल है, वहीं मैदानी क्षेत्र में बीते 2 हफ्ते से जारी शीत लहर ने लोगों की परेशानियां बढ़ा दी हैं। इस तरह के मौसम में खांसी, जुकाम और बुखार के अलावा हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक और अस्थमा के अटैक का खतरा भी बढ़ जाता है। जरा सी लापरवाही आपको ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट अटैक का शिकार बना सकती है। इसलिए ये जरूरी है कि इससे बचाव के लिए सावधानी बरतनी बेहद जरूरी है।
सर्दियों में इसलिए बढ़ जाते हैं हार्ट अटैक के मामले
सर्दियों में रक्त नलिकाएं सिकुड़ जाती हैं। इससे शरीर में ब्लड का सर्कुलेशन ठीक से नहीं हो पाता है। इसके अलावा ठंड में दिल को ब्लड को सर्कुलेट करने के लिए अधिक पंपिंग करनी पड़ती है। साधारण भाषा में इसको दिल का तेजी से धड़कना कहा जाता है। ऐसे में ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, जो हार्ट अटैक के खतरे को बढ़ा देता है। इसके अलावा अक्सर एक ही जगह पर काफी देर तक बैठे रहने से भी रक्त का प्रवाह प्रभावित होता है और खून गाढ़ा हो जाता है। अधिक वजन वाले लोगों में कैलोरी की खपत कम हो जाती है और शरीर पर चर्बी बढ़ने लगती है। यह भी हार्ट अटैक का बड़ा रिस्क फैक्टर है।
क्या है ब्रेन स्ट्रोक ?
सर्दी में रक्त की नलिकाएं सिकुड़ने की वजह से दिमाग की नसों में भी रक्त का प्रवाह कम हो जाता है। यदि यह रक्त का प्रवाह पूरी तरह से रुक जाए, तो उस स्थिति को ब्रेन अटैक कहा जाता है। ऐसी स्थिति में ब्रेन के प्रभावित हिस्से की कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं। ऐसे में नस फटने का भी खतरा बढ़ जाता है। इसे ब्रेन हेमरेज कहा जाता है। ब्रेन स्ट्रोक के 20 में से 3 लोगों में इसका खतरा होता है। यह अक्सर बीपी के उन मरीजों में ज्यादा होता है जिनका ब्लड प्रेशर काफी तेजी से बदलता रहता है।
सर्दियों में करते हैं ये गलती
सर्दियों में हमें प्यास कम लगती है। इसकी वजह से आमतौर पर हम पानी पीना भी कम कर देते हैं। लेकिन यही छोटी सी चूक हमारे जीवन के लिए घातक साबित होती है। दरअसल, कम पानी पीने से बॉडी डिहाइड्रेट हो जाती है, जिसकी वजह से खून गाढ़ा हो जाता है और इसका प्रवाह कम या रुक जाता है। यही स्थिति हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा देती है।
इन बातों का रखें ध्यान
थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ-कुछ खाते रहें और गुनगुना पानी पीते रहें। शरीर में कॉलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करने के लिए तेल-घी, फास्ट फूड का सेवन कम करें। अधिक कॉलेस्ट्रॉल वाले व्यक्ति यदि शराब या सिगरेट का सेवन करते हैं, तो हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रॉक के खतरे को कहीं ज्यादा बढ़ा देता है। एनीमिया या माइग्रेन के मरीज, शुगर व बीपी के मरीज, 50 वर्ष से अधिक आयु के लोग, हार्मोंस की दवा लेने वाले लोगों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत होती है।
ये हैं लक्षण
- सांस लेने में तकलीफ।
- ब्रेन में अधिक ब्लीडिंग से बेहोशी।
- शरीर के किसी हिस्से में सुन्नपन का अहसास होना।
- शरीर पर चीटियों के से दौड़ने या कमजोरी का महसूस होना।
- बोल पाने या समझने में परेशानी होना और भ्रम की स्थिति होना।
- आंखों से साफ न देख पाना। सिर में दर्द, उल्टी आना और जी मचलना।
यूं करें बचाव
- पानी का सेवन कम न करें।
- बीपी और शुगर की दवा लेना बंद न करें।
- नमक का इस्तेमाल कम कर दें।
- सिगरेट, तंबाकू और शराब का सेवन न करें।
- कड़ाके की ठंड में नंगे पैर घास पर चलने से परहेज करें।
- कड़ाके की सर्दी में बिना जरूरत बाहर निकलने से परहेज करें। लेकिन घर में ही व्यायाम जरूर करें। यह आपके शरीर को गर्म रखने में मदद करेगा।