दा एंगल।
जयपुर।
जयपुर में पौष माह का आगमन होते ही छोटी काशी के सभी मंदिरों में पौषबड़ा महोत्सव के आयोजन शुरू हो गए हैं। पौष बड़ा नाम का मतलब है दाल की नमकीन पकोड़ी। इस उत्सव को शीतकालीन मौसम के भव्य तरीके से स्वागत करने के लिए मनाया जाता है। इसका आयोजन राजस्थान के हर जिले में होता है।
पौष महीने के उपलक्ष्य में जयपुर के विभिन्न मंदिरों में पौष बड़े का आयोजन किया जा रहा है। जयपुर के लक्ष्मण डूंगरी में स्थित श्रीखोले के हनुमानजी मंदिर में हजारों भक्त प्रसाद लेने मंदिर पहुंचे। इससे पूर्व हनुमानजी महाराज को भगवान की प्रसादी का भोग लगाया गया। इसके साथ ही बंगाली बाबा के मंदिर में भी हजारों लोगों ने प्रसादी ग्रहण की। इसी तरह चौड़ा रास्ता स्थित ताड़केश्वर मंदिर में भी हजारों की संख्या में लोगों ने भगवान की प्रसादी का स्वाद लिया।
रोजगारेश्वर मंदिर में हुए पौष बड़े
जयपुर के छोटी चौपड़ स्थित श्री रोजगारेश्वर मंदिर में पौष बड़ों का आयोजन किया गया। यह आयोजन यहां पर आने वाले भक्तों ने मिलकर किया है। मंदिर के भक्त सोनू शर्मा, भावेश शर्मा, अभिषेक विजय, विष्णु पालीवाल, आशीष व्यास, योगिता शर्मा ने विशेष योगदान दिया। मंदिर के पंडित आरके दवे ने आरती की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारत शर्मा थे। भक्तों ने उनको माला और साफा पहनाकर सम्मान किया। इस मौके पर भक्तों ने दोना प्रसादी ग्रहण की। पौष बड़े में भक्तों को अच्छा खासा उत्साह देखा गया। कार्यक्रम में महिला श्रद्धालुओं ने भी पौष बड़ा देने में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
दान पुण्य का होता महत्व
इस महीने में बहुत से बड़े मंदिरों में लंगर प्रसादी का भी आयोजन होता है। इस महीने में दान-पुण्य का भी बहुत बड़ा महत्व होता है। मकर संक्रांति के लोग अपनी इच्छानुसार लोगों को दान देते हैं। गायों को चारा देना, कपड़े दान करना ऐसे ही कई काम किए जाते हैं।