Home National गुजरात के उपमुख्यमंत्री ने यह क्या कह दिया….

गुजरात के उपमुख्यमंत्री ने यह क्या कह दिया….

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दा एंगल।
गांधीनगर।
शिक्षा प्राप्त करने का मूल उद्देश्य होता है कि हम शिक्षा लेकर अपना और अपने देश भला कर सके। हम बेहतर शिक्षा लेकर ही देश का भला कर सकते हैं। इसी उद्देश्य को लेकर युवा आईएएस जैसी मंजिल को चुनते हैं। लेकिन इसमें भी क्षेत्रवाद, भाषावाद दिखने लगा है।

गैर गुजराती को देखकर होता दुख

दरअसल, गुजरात के उप मुख्यमंत्री ने एक कार्यक्रम के दौरान एक बयान दिया था। उन्होंने कहा कि जब भी मैं सचिवालय जाता हूं और वहां सचिवों की नेम प्लेट देखता हूं तो मुझे दुख होता है कि यह सभी आईएएस, आईपीएस सहित कई वरिष्ठ अधिकारी गुजरात के बाहर के होते हैं। मुझे ऐसा लगता है कि यहां गुजराती भाषा का अधिकारी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि गुजराती लोग पढ़े-लिखकर व्यापार-कारोबार करने के लिए दुनिया के किसी भी कोने में चले जाते हैं लेकिन सचिवालय तक नहीं पहुंच पाते हैं।

कार्यक्रम के दौरान उपमुख्यमंत्री ने कहा कि किसी जमाने में गुजराती लोग सरकारी नौकरी के बारे में सोचते थे। समय बदलता गया और उनकी सोच सरकारी नौकरी से बदलकर कारोबार में लग गई। भारत सरकार में रेलवे, बंदरगाह, ओएनजीसी सहित कई ऐसी जगह हैं जहां उच्च स्तर पर गुजराती अधिकारी कम ही हैं। हम इस तरफ दिलचस्पी नहीं लेते थे केवल व्यापार-कारोबार में आगे बढ़ते रहे।

गुजरात के लोग उच्च पदों पर होंगे

अब छात्र उच्च शिक्षा हासिल कर रहे हैं। ऐसे में हर मां-बाप चाहते हैं कि उनके बच्चे आईएएस-आईपीएस अधिकारी बनें। मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में आईएएस-आईपीएस सहित उच्च पदों पर ज्यादा से ज्यादा गुजराती लोग काबिज होंगे। लेकिन ये आंकड़े बताते हैं कि गुजरात में अन्य राज्यों के उच्च अधिकारियों के मुकाबले गुजरात के अधिक हैं। अगर इन नेता की तरह भारत के दूसरे लोग भी सोचने लग जाएंगे तो क्या होगा।

देश में जब एक है तो इस तरह की सोच का क्या फायदा। अगर यही सोच दूसरे राज्य के लोग भी रखने लग जाएंगे तो फिर क्या होगा। यह एक चिंतनीय मुद्दा है। जब आपके राज्य का बच्चा पढ़-लिखकर आगे बढ़ेगा तो उस राज्य का नाम तो वैसे ही रोषन हो जाएगा।

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