दा एंगल।
नई दिल्ली।
यह कहावत को मशहूर है कि दूसरोँ के मामले में टांग अड़ाना भारी पड़ता है। यह कहावत मलेशिया पर सही उतरती है। मलेशिया में भारत के आंतरिक मामले में अपनी दखलांजी की जिसका उसको खमियाजा भुगतना पड़ रहा है।
भारत ने पाम आयल में कटौती
दरअसल, मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने कश्मीर को लेकर भारत पर टिप्पणी की थी। इससे दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति पैदा हो गई। भारत ने उसको सबक सीखाते हुए पाॅम आयल के आयात में कटौती कर दी। अब जिसके बाद दोनों देशों के बीच बीते महीनों से जारी तनाव को कम करने के लिए कूटनीतिक चैनल के जरिए बातचीत की कोशिशें जारी हैं। ऐसा माना जा रहा है कि मलेशिया को भारत की नाराजगी का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
मलेशिया को लगा तगड़ा झटका
मलेशिया दुनिया के दूसरे सबसे बड़े पाम ऑयल उत्पादक देश है। उसको कारोबार में झटका लगता हुआ दिखा। पाम ऑयल की बेंचमार्क कीमतों में पिछले 11 सालों की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई। इसी बीच मलेशिया के तेवर कुछ नरम हुए हैं और उसने बातचीत की इच्छा जाहिर की है।
अगले हफ्ते दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की बैठक होनी है। इससे इतर मलेशिया के वाणिज्य मंत्री डारेल लेइकिंग अपने भारतीय समकक्ष पीयूष गोयल से मुलाकात करेंगे। इस बैठक को लेकर कोई एजेंडा तय नहीं किया गया है। मगर माना जा रहा है कि संबंधों में सहजता लाने के लिए यह बैठक महत्वपूर्ण होगी। मलेशिया पाम ऑयल को लेकर भारत के साथ विवाद को बढ़ाना नहीं चाहता है।
मलेशिया भारत के साथ कूटनीतिक स्तर पर बातचीत के जरिए मसले को हल करना चाहता है। इससे पहले केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल साफ कर चुके हैं कि सरकार ने मलेशिया के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है।
कश्मीर का जिक्र करते हुए मलेशिया के प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा था कि दुनिया म्यांमार में रोहिंग्याओं पर हो रहे अत्याचारों को रोकने में नाकाम रही, जिसके कारण यूएन रेजॉलूशन के सम्मान में कमी आई है।
अब, जम्मू और कश्मीर पर यूएन रेजॉलूशन के बाद भी, एक देश ने इस पर जबरन कब्जा जमा लिया है। एक और ट्वीट में उन्होंने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में कुछ परेशानी हो सकती है, लेकिन इसका समाधान शांतिपूर्ण तरीके से होना चाहिए। भारत और पाकिस्तान को मिलकर इसका समाधान ढूंढना चाहिए।