दा एंगल।
जयपुर।
खेतों में लहलहाती सरसों की फसल। हर जगह पीत रंग छाया हुआ है। आज ज्ञान की देवी मां सरस्वती की स्कूलों सहित कई जगहों पर आज मां सरस्वती की पूजा हो रही है। इसके साथ ही आज अबूझ सावा होने की वजह से देशभर में शादियों की धूम रहेगी।
बसंत पंचमी के दिन नवयौवनाएं और स्त्रियां पीले रंग के परिधान पहनती हैं। गांवों-कस्बों में पुरुष पीला पाग पहनते है। हिन्दू परंपरा में पीले रंग को बहुत शुभ माना जाता है. यह समृद्धि, ऊर्जा और सौम्य उष्मा का प्रतीक भी है। इस रंग को बसंती रंग भी कहा जाता है।
वसंत पंचमी पर दो शुभ मुहूर्त
इस बार वसंत पंचमी के दिन सिद्धि और सर्वार्थसद्धि योग जैसे दो शुभ मुहूर्त का संयोग बन रहा है। इस कारण पंडितों ने इसे वाग्दान, विद्यारंभ, यज्ञोपवीत आदि संस्कारों और अन्य शुभ कार्यों के लिए श्रेष्ठ माना है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सृष्टि के रचनाकार भगवान ब्रह्मा ने जब संसार को बनाया तो पेड़-पौधों और जीव जन्तुओं सबकुछ दिख रहा था, लेकिन उन्हें किसी चीज की कमी महसूस हो रही थी। इस कमी को पूरा करने के लिए उन्होंने अपने कमंडल से जल निकालकर छिड़का तो सुंदर स्त्री के रूप में एक देवी प्रकट हुईं।
उनके एक हाथ में वीणा और दूसरे हाथ में पुस्तक थी। तीसरे में माला और चैथा हाथ वर मुद्रा में था। यह देवी थीं मां सरस्वती। मां सरस्वती ने जब वीणा बजाया तो संसार की हर चीज में स्वर आ गया। इसी से उनका नाम पड़ा देवी सरस्वती। यह दिन था बसंत पंचमी का। तब से देव लोक और मृत्युलोक में मां सरस्वती की पूजा होने लगी।
स्कूलों और मंदिरों में विशेष आयोजन
इस मौके पर खण्डेलवाल समाज ने वसंत पंचमी पर शोभायात्रा निकाली गई। वहीं स्कूलों में मां शारदे के की पूजा अर्चना हुई। वसंत पंचमी पर देवी-देवता भी अछूते नहीं रहे। मंदिरों-घरों में ठाकुरजी और मां सरस्वती का विशेष श्रृंगार और पूजन हुआ। देशभर के मंदिरों में भगवान की विशेष पूजा अर्चना हो रही है। भगवान के पीतांबरी पकवानों का भोग लगाया गया।