The Angle
जयपुर।
प्रदेश की गहलोत सरकार में बजट पूर्व बैठकों का दौर आज दूसरे दिन भी जारी रहा। मुख्यमंत्री ने तमाम विभागीय मंत्रियों की मौजूदगी में बजट की रूपरेखा तैयार करने के उद्देश्य से विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधियों से चर्चा की, ताकि बजट बनाने में जनता के हितों का पूरा ध्यान रखा जा सके। इस दौरान उन्होंने बजट पूर्व हो रही मीटिंग को काफी महत्वपूर्ण बताया।
मुख्यमंत्री ने बैठक में मिले सुझावों को बजट में शामिल किए जाने का दिया आश्वासन
विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधियों के सुझावों को बजट में शामिल किए जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह की बजट पूर्व बैठकें पहले भी आयोजित की जाती रही हैं। उन्होंने किसानों, उद्यमियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, एनजीओ, छात्र और नौजवानों के साथ हुई इस मीटिंग को काफी अच्छा बताया। उन्होंने कहा कि जब बजट तैयार किया जाएगा तो जिन सुझावों को हो सकेगा उन्हें अवश्य ही बजट में शामिल किया जाएगा।
गहलोत बोले- देश की अर्थव्यवस्था सुधारने को प्राथमिकता दे सरकार
वहीं केंद्र सरकार की ओर से राज्यों को मिलने वाली ग्रांट में की गई कटौती के सवाल पर उन्होंने कहा, कि भारत सरकार की ओर से की गई ये कटौतियां बहुत ही भयंकर हैं। ये कटौती इसलिए की गई हैं क्योंकि पूरे देश की अर्थव्यवस्था डांवाडोल स्थिति में है और इस बात की जानकारी सभी देशवासियों को है। वहीं उन्होंने अर्थव्यस्था को लेकर अखबारों में प्रकाशित किए जा रहे आर्टिकल्स का हवाला देते हुए कहा, कि ये भी भारत सरकार का ध्यान इसी ओर दिलाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में भारत सरकार को चाहिए वह देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने को प्राथमिकता दे। क्योंकि आज देश का हर वर्ग दु:खी है औऱ देश का भविष्य भी इसी पर निर्भर करेगा।
जनता से किया वादा निभाएं पीएम- मुख्यमंत्री गहलोत
ईस्टर्न कैनाल राजस्थान प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय प्रोजेक्ट घोषित करवाने के प्रयास पर उन्होंने कहा, कि नीति आयोग की मीटिं के दौरान भी उन्होंने वहां मौजूद प्रधानमंत्री मोदी को इस बारे में याद दिलाया था। आगे उन्होंने कहा कि पिछले चुनावों के दौरान जब प्रधानमत्री जयपुर आए थे तो उन्होंने पब्लिक मीटिंग में वादा किया था कि जब हम वापस सत्ता में आएंगे, तो इस योजना को लागू करेंगे। इसलिए उन्हें जनता से किया अपना वादा निभाते हुए इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय प्रोजेक्ट घोषित करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने इसके लिए प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखे जाने की बात भी कही।
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‘अनुदान राशि में कटौती से पता चलती है केंद्र सरकार की आर्थिक विफलता’
वहीं केंद्र सरकार की योजनाओं में केंद्र-राज्यों की हिस्सेदारी का अनुपात बदले जाने पर उन्होंने केंद्र सरकार पर हमला बोला। गहलोत ने कहा कि केंद्र सरकार के योजनाओं में इस तरह के बदलाव लाने से राज्यों की आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाएगी और इससे उनका विकास रुक जाएगा। उन्होंने कहा कि फाइनेंस कमीशन का गठन भारतीय संविधान के तहत किया गया है। इसी की रिकमंडेशन के आधार पर राज्यों को अनुदान मिलता है। ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा अनुदान की राशि में कटौती करने का कोई औचित्य नहीं है। फिर भी अगर केंद्र सरकार ऐसा क रही है तो ये सीधे तौर पर उनकी आर्थिक विफलता को दिखाता है।