दा एंगल।
नई दिल्ली।
सुप्रीम कोर्ट ने सारा अब्दुल्ला पायलट की उस याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी और जिसमें उनके भाई और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को जन सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लेने की चुनौती दी गई है।
जज ने खुद को किया अलग
सारा पायलट की याचिका पर सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति शांतानागौडर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की तीन न्यायाधीशों वाली पीठ के समक्ष आई थी। न्यायमूर्ति शांतानागौडर ने सुनवाई के प्रारंभ में कहा, मैं मामले में शामिल नहीं हो रहा हूं।
14 को होगी सुनवाई
इस पर शुक्रवार 14 फरवरी को सुनवाई का फैसला लिया गया। सारा की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने मामले को त्वरित सुनवाई की सूची में डाला था। गौरतलब है कि सारा ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के तहत उमर अब्दुल्ला को हिरासत में लिए जाने का विरोध किया था।
उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के खिलाफ जन सुरक्षा कानून के तहत मामले दर्ज किए जाने के लिए नेषनल कांग्रेस नेता की पार्टी की आंतरिक बैठकों की कार्यवाहियों और सोशल मीडिया पर उनके प्रभाव तथा पीडीपी प्रमुख के अलगाववादी समर्थक रुख का अधिकारियों ने जिक्र किया है। उमर अब्दुल्ला और महबूबा को पिछले साल पांच अगस्त से एहतियातन हिरासत में रखा गया है, जब केंद्र ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाने और इस पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्र शासित क्षेत्रों- लद्दाख एवं जम्मू कश्मीर- में बांटने की घोषणा की थी।
उनके एहतियातन हिरासत की मियाद खत्म होने से महज कुछ ही घंटे पहले उनके खिलाफ छह फरवरी की रात पीएसए के तहत मामला दर्ज किया गया। नियमों के अनुसार एहतियातन हिरासत को छह महीने से आगे तभी बढ़ाया जा सकता है जब 180 दिन की अवधि पूरा होने से दो सप्ताह पहले गठित कोई सलाहकार बोर्ड इस बारे में सिफारिश करे। हालांकि, इस संबंध में ऐसे किसी बोर्ड का गठन नहीं हुआ और कश्मीर प्रशासन के पास दो ही विकल्प थे या तो उन्हें रिहा किया जाए या पीएसए लगाया जाए।