Home Religion घर-घर हो रही शीतला माता की पूजा

घर-घर हो रही शीतला माता की पूजा

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दा एंगल।
जयपुर

शीतलाष्टमी प्रदेश में मनाया जाना वाला एक त्याहोर है। यह पर्व जयपुर जिले सहित पूरे प्रदेश में मनाया जाता है। इस दिन जयपुर जिले में अवकाश रहता है। शीतलाष्टमी का पर्व जयपुर जिले में में पारम्परिक पूजा-अर्चना और हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है।
घर-घर और मंदिरों में शीतला माता की पूजा अर्चना कर उन्हें रांधापुआ के ठण्डे पकवानों का भोग चढ़ाया जा रहा है। महिलाएं घरों में पूजा थाल सजाकर मंगल गीतों के साथ शीतला माता की पूजा कर रही है। नवदंपतियों ने जोड़े से शीतला माता की पूजा की। श्रद्धालुओं ने राबड़ी, दही बड़े, पुआ पूड़ी का आनंद उठाया।

चाकसू में श्रद्धालुओं की भीड़

चाकसू स्थित शील की डूंगरी में आस्था का मेला भरा है। शहर और आस-पास के गांव के हजारों श्रद्धालुओं ने माता को आस्था की ढोक लगा रहे हैं। शीतलाष्टमी राजस्थान में मनाया जाने वाला एक विशेष लोक पर्व है। इस दिन शीतला माता की पूजा करने के साथ ही ठंडा खाना माता को भोग लगाया जाता है और खाया भी जाता है। इस दिन घरों में चूल्हा नहीं जलाया जाता है। मान्यता है कि शीतला माता की पूजा करने से चेचक और माता निकलने की बीमारी नहीं होती।

शीतलाष्टामी का त्यौहार होली के आठ दिन बाद मनाया जाता है। इस दिन शीतला माता का पूजन किया जाता है और व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि माता के पूजन से चेचक, खसरा जैसे संक्रामक रोगों का मुक्ति मिलती है। कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने से संतान भी निरोगी और सलामत रहती है। इस व्रत को बसौड़ा या बसियौड़ा भी कहा जाता है। इस दौरान श्रद्धालु बासी या ठंडा खाना खाते हैं।

संक्रामक रोगों का होता है खतरा

पंडितों का कहना है कि मौसम बदलने से चेचक जैसे रोगों का खतरा बढ़ जाता है। इससे बचने के लिए प्राचीन काल से ही शीतलाष्टामी का व्रत किया जाता रहा है। आयुर्वेद की भाषा में चेचक को शीतला कहा जाता है। इस पूजा में दाहज्वर, पीतज्वर और नेत्रों की समस्या दूर करने और निरोग रहने की प्रार्थना की जाती है।

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