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माटी के कण-कण में रणबांकुरों के शौर्य और समृद्ध परंपराओं को समेटता राजस्थान

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दा एंगल।
जयपुर।

राजस्थान का नाम आते ही मन में एक अलग सी ही तस्वीर उभरने लगती है। राजस्थान यानी त्याग-बलिदान और मर-मिटने को हमेशा तैयार रहने वाले योद्धा। महाराणा प्रताप जैसे शूरवीरों की कहानी हो या पृथ्वीराज चौहान राजस्थान की धरती ने ना जाने कितने ही शूरवीरों को जन्म दिया है। इसके साथ त्याग-बलिदान यहां की मिट्टी के कण-कण में रचा-बसा हुआ है।

आज राजस्थान का स्थापना दिवस

रणबांकुरों के शौर्य, माटी के कण-कण में समृद्ध परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहरों को समेटे प्रदेश की स्थापना को 71 साल हो गए। सात चरणों में बने राजस्थान की स्थापना 30 मार्च 1949 को हुई थी। हालांकि इसकी स्थापना से पहले इस धरती को वीरांगनाओं ने अपने त्याग और बलिदान से सींचा। इसी का परिणाम है कि प्रदेश का हर एक क्षेत्र अपनी अलग खूबी रखता है।

बात करें कला संस्कृति और खेलों की तो यहां के क्षेत्र के अलग ही आयाम है। यहां का पर्यटन तो विश्वभर में विख्यात है। जयपुर फुट हो या जयबाण की बेजोड़ तकनीक इसका कोई मुकाबला नहीं। जैसलमेर की तपती रेत और माउंट आबू की वादियां इस अनूठे प्रदेश की ऐतिहासिकता को बखान करते हैं। ऐसी ना जाने कितनी ही खूबियों को अपने में समेटे हुआ है, यह राज्य। जिनका शब्दों में बखान करना संभव नहीं। बस इतना कहा जा सकता है प्रदेश की स्थापना का हर एक क्षण सदियों की विरासत की अनूठी मिसाल है। प्रदेश का हर हिस्सा अपनी एक कहानी कहता नजर आता है।

मुख्यमंत्री ने दी शुभकामनाएं

वहीं, राजस्थान दिवस पर प्रदेशभर में कई आयोजन होते थे, लेकिन कारोना की वजह से 71 साल के इतिहास में पहली बार प्रदेश में यह दिवस नहीं मनाया जा रहा है और किसी प्रकार का कोई आयोजन नहीं हो रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेशवासियों को राजस्थान दिवस की शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने अपने संदेश में लोगों से घर पर ही राजस्थान दिवस मनाने की अपील की है। इसके साथ ही ट्वीटर और फेसबुक पर लोग डाॅक्टरों और पुलिस वालों को भी राजस्थान दिवस की बधाई दे रहे हैं।

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