दा एंगल।
वॉशिंगटन ।
कोरोना ने सभी देशों की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी तोड़ रखी है। इस कारोना की वजह से पिछले काफी समय से विश्व के सभी उद्योग धंधे ठप पड़े हैं। इस बीच विश्व बैंक ने भारत को एक करारा झटका दिया है। विश्व बैंक का कहना है कि कोरोना वायरस महामारी ने भारतीय अर्थव्यवस्था को जबर्दस्त झटका दिया है, जिससे देश की आर्थिक वृद्धि दर में भारी गिरावट आएगी। विश्व बैंक ने ‘दक्षिण एशिया की अर्थव्यवस्था पर ताजा अनुमान कोविड-19 का प्रभाव’ रिपोर्ट में कहा है कि 2019-20 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर घटकर पांच प्रतिशत रह जाएगी। इसके अलावा, 2020-21 तुलनात्मक आधार पर अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर में भारी गिरावट आएगी और यह घटकर 2.8 प्रतिशत रह जाएगी।
वस्तुओं की आपूर्ति रहेगी प्रभावित
विश्व बैंक की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यह कोरोना का झटका ऐसे समय पर लगा है जब वित्तीय क्षेत्र पर दबाव की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था में पहले से सुस्ती है। इस महामारी पर अंकुश के लिए सरकार ने देशव्यापी बंदी लागू की है। इससे लोगों की आवाजाही रुक गई है और वस्तुओं की आपूर्ति प्रभावित हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना की वजह से भारत में पिछले 19 दिनों से लाॅकडाउन लगा हुआ है इससे यहां पर सभी प्रकार की गतिविधियां बंद पड़ी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 की वजह से घरेलू आपूर्ति और मांग प्रभावित होने के चलते 2020-21 में आर्थिक वृद्धि दर घटकर 2.8 प्रतिशत रह जाएगी। वैश्विक स्तर पर जोखिम बढ़ने के चलते घरेलू निवेश में सुधार में भी देरी होगी। रिपोर्ट कहती है कि अगले वित्त वर्ष यानी 2021-22 में कोविड-19 का प्रभाव समाप्त होने के बाद अर्थव्यवस्था पांच प्रतिशत की वृद्धि दर्ज कर सकेगी। हालांकि, इसके लिए अर्थव्यवस्था को वित्तीय और मौद्रिक नीति के समर्थन की जरूरत होगी।
भारत के लिए खराब
संवाददाताओं के साथ कॉन्फ्रेंस कॉल में विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री हैंस टिमर ने कहा कि भारत का परिदृश्य अच्छा नहीं है। टिमर ने कहा कि यदि भारत में लॉकडाउन अधिक समय तक जारी रहता है तो यहां आर्थिक परिणाम विश्व बैंक के अनुमान से अधिक बुरे हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस चुनौती से निपटने के लिए भारत को सबसे पहले इस महामारी को और फैलने से रोकना होगा और साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा कि सभी को भोजन मिल सके।