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इस बार आखातीज पर ना बजा बैंडबाजा, ना सुनाई दी शहनाइयों की गूंज

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दा एंगल।
जयपुर।
देशभर में आज अक्षय तृतीया मनाई जा रही है। अक्षय तृतीया या आखातीज वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहते हैं। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है। इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है। वैसे तो सभी बारह महीनों की शुक्ल पक्षीय तृतीया शुभ होती है, किंतु वैशाख माह की तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्तो में मानी गई है।

भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की होती है पूजा

गौरतलब है कि ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से अक्षय फल की प्राप्त होती है। अक्षय तृतीया के दिन का धार्मिक शास्त्रों और पुराणों में भी जिक्र मिलता है। कहा जाता है कि इस दिन त्रेतायुग की शुरुआत हुई थी। महाभारत में भी अक्षय तृतीया की तिथि का जिक्र है। महाभारत में बताया गया है कि इस दिन दुर्वासा ऋषि ने द्रोपदी को अक्षय पात्र दिया था।

महाभारत में बताया जाता है कि जब पांडवों को वन में 13 सालों के लिए जना पड़ा तो एक दिन उनके वनवास के दौरान दुर्वासा ऋषि उनकी कुटिया में आए। ऐसे में सभी पांडवों और द्रोपदी ने घर में जो कुछ रखा था उनसे उनका अतिथि सत्कार किया। दुर्वासा ऋषि द्रोपदी के इस अतिथि सत्कार से बहुत प्रसन्न हुए। जिसके बाद उन्होंने प्रसन्न होकर द्रोपदी को अक्षय पात्र उपहार में दिया। साथ ही दुर्वासा ऋषि ने यह भी कहा कि इस जो भी व्यक्ति भक्तिभाव से भगवान विष्णु जी की पूजा करेगा और गरीब को दान देगा, उसे अक्षय फल की प्राप्ति होगी।

आखातीज पर विवाह समारोह स्थगित

आखातीज पर देशभर में लाॅकडाउन होने की वजह से ना कहीं शहनाई बजी ना ही कोई समारोह हुआ। देशव्यापी लॉकडाउन के चलते इस बार आखातीज के दिन बड़ी संख्या में विवाह समारोह स्थगित कर दिए गए हैं। साथ ही कोई सामूहिक विवाह समारोह भी नहीं हुआ। पंडितों की माने तो मलमास खत्म होने के बाद विवाह के लिए 20, 25, 26 और 27 अप्रेल के शुभ मुहूर्त हैं। मई में 1, 2, 4, 6, 17,18,19 तारीख को तथा जून में 13,15 व 30 तारीख को मुहूर्त हैं।

इस दौरान 29 मई से 12 जून तक शुक्र अस्त होने से मुहूर्त नहीं है। 30 जून को देवशयनी एकादशी और 25 नवंबर को देवउठनी एकादशी है। यानी जुलाई से 24 नवंबर तक विवाह समारोहों पर ब्रेक रहेगा। नवंबर में दूसरा मुहूर्त 30 को तथा दिसंबर में 7 व 9 तारीख को है। अगर कोरोना महामारी के चलते मई और जून में भी शादियां टली तो फिर नवंबर में ही फेरे हो पाएंगे। गौरतलब है कि इस दिन देश में कई जगह बाल विवाह भी होते हैं।

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