दा एंगल।
नई दिल्ली।
देश में लाॅकडाउन हुए 40 दिन से अधिक हो चुके हैं। इस दौरान देश की सभी गतिविधियां ठप पड़ी है। देश को लाॅकडाउन की वजह से काफी आर्थिक हानि उठानी पड़ रही है। अचानक लाॅकडाउन होने से जो लोग जहां थे। वो वहीं पर रहे गए। हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर अपने घर नहीं जा सके।
कांग्रेस ने उठाया प्रवासी मजदूरों का मुद्दा
ऐसे में विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने पीएम मोदी से वीडियो कांफ्रेंसिंग में प्रवासी मजदूरों की वापसी के लिए कहा था। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री से वीडियो कांफ्रेंसिंग में पुरजोर से प्रवासी मजदूरों का मुद्दा उठाया था और उनकी वापसी के लिए रेल चलाने को कहा था। मुख्यमंत्री गहलोत ने इसके लिए पीएम को कई बार पत्र भी लिखे थे। मुख्यमंत्री के अथक प्रयासों के बाद केन्द्र सरकार ने इन्हें मजदूरों को लाने के लिए विषेष ट्रेने शुरू कर दी।
सरकार पर साधा निशाना
देश के विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्य वापस भेजने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं लेकिन इसके लिए उन्हें किराया चुकाना पड़ रहा है। जिस पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बयान जारी कर सरकार पर निशाना साधा। उनका कहना है कि विदेश में फंसे भारतीयों को मुफ्त में वापस लाया गया जबकि कामगारों से किराया वसूला जा रहा है। ऐसे में उन्होंने फैसला लिया है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी की हर इकाई हर जरूरतमंद श्रमिक और कामगार के घर लौटने की रेल यात्रा का टिकट खर्च वहन करेगी और जरूरी कदम उठाएगी।
सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि दुख की बात यह है कि भारत सरकार व रेल मंत्रालय इन मेहनतकशों से मुश्किल की इस घड़ी में रेल यात्रा का किराया वसूल रहे हैं। श्रमिक व कामगार राष्ट्रनिर्माण के दूत हैं। जब हम विदेशों में फंसे भारतीयों को अपना कर्तव्य समझकर हवाई जहाजों से निशुल्क वापस लेकर आ सकते हैं, जब हम गुजरात के केवल एक कार्यक्रम में सरकारी खजाने से 100 करोड़ रुपये ट्रांसपोर्ट व भोजन इत्यादि पर खर्च कर सकते हैं, जब रेल मंत्रालय प्रधानमंत्री के कोरोना फंड में 151 करोड़ रुपए दे सकता है, तो फिर तरक्की के इन ध्वजवाहकों को आपदा की इस घड़ी में निशुल्क रेल यात्रा की सुविधा क्यों नहीं दे सकते।