Home Society महाराणा प्रताप वो योद्धा जिसने कभी अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की

महाराणा प्रताप वो योद्धा जिसने कभी अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की

406
0

दा एंगल।
नई दिल्ली।
आज वीर सपूत, महान योद्धा और अदभुत शौर्य व साहस के प्रतीक महाराणा प्रताप की जयंती है। महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई, 1540 को कुंभलगढ़ दुर्ग में हुआ था। महाराणा प्रताप राजस्थान ही भारतवर्ष में अपने अदम्य साहस के लिए जाने जाते हैं। उनका नाम इतिहास में वीरता और दृढ़ प्रण के लिए अमर है। उन्होंने मुगल सम्राट अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की और कई सालों तक संघर्ष किया। महाराणा प्रताप सिंह ने मुगलों को कई बार युद्ध में भी हराया। उनका राज्याभिषेक गोगुंदा में हुआ था।

महाराणा प्रताप भारत के पहले स्वतंत्रता सेनानी

महान योद्धा महाराणा प्रताप को भारत का पहला स्वतंत्रता सेनानी माना जाता है। वह मेवाड़ में सिसोदिया राजपूत राजवंश के राजा थे। उनकी अपनी वीरता और युद्ध कला के लिए जाने जाते हैं। हल्दीघाटी में महाराणा प्रताप और अकबर के बीच भयंकर युद्ध हुआ। वैसे तो इस युद्ध को 300 साल हो चुके हैं पर आज भी वहां युद्ध मैदान में तलवारें पाई जाती हैं। इस युद्ध में ना तो अकबर की जीत हुई और ना ही महाराणा प्रताप की। कहा जाता है कि जब अकबर को महाराणा प्रताप के निधन का पता लगा तो वह भी रो पड़ा।

अकबर की अधीनता नहीं स्वीकारी

दरअसल, अकबर ने महाराणा प्रताप को प्रस्ताव दिया था कि यदि वे उसके सामने झुक जाते हैं तो आधा भारत उनका हो जाएगा परंतु उन्होंने यह प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया और दोनों के बीच हल्दीघाटी में 21 जून 1576 को युद्ध लड़ा गया और दोनों सेनाओ के बीच भीषण युद्ध हुआ जो केवल चार घंटे में ही समाप्त हो गया। हल्दीघाटी युद्ध उनके प्रिय घोड़े चेतक की मृत्यु हो गई थी। इससे उनका दिल पसीज गया और उन्होंने मुगलों से जीतने तक महल त्यागकर जंगल में जीवन बिताने का निश्चय किया। उनकी तरह उनके सेनापति और सैनिक भी बहुत वीर थे। उनका एक सेनापति युद्ध में सिर कटने के बाद भी लड़ता रहा।

महाराणा प्रताप वर्षों तक मेवाड़ के जंगलो में घूमे। लगातार 30 वर्षों तक प्रयास करने के बावजूद अकबर, उनको बंदी नहीं बना सका। उन्होंने अपने वंशजों को वचन दिया था कि जब तक वह चित्तौड़ वापस हासिल नहीं कर लेते, तब तक वह पुआल पर सोएंगे और पेड़ के पत्ते पर खाएंगे। आखिर तक उनको चित्तौड़ वापस नहीं मिला। उनके वचन का मान रखते हुए आज भी कई राजपूत अपने खाने की प्लेट के नीचे एक पत्ता रखते हैं और बिस्तर के नीचे सूखी घास का तिनका रखते हैं। महाराणा प्रताप की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सहित कई नेताओं ने उन्हें कोटि-कोटि नमन किया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here