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मदर्स डे: भगवान की बनाई दुनिया की उम्दा कल्पना है मां

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दा एंगल।
जयपुर।
भगवान ने जब यह दुनिया बनाई तो उसमें उसने सबसे खूबसूरत चीज जो बनाई उसका नाम है मां। मां का दर्जा इस संसार में भगवान से भी ऊपर रखा गया है। मां दुनिया का सबसे खूबसूरत शब्द है। बच्चा जब दुनिया में आता है तो सबसे पहला शब्द वो बोलता है वो है मां। मां बच्चे की पहली पाठशाला होती है। वो बच्चों को जीवन के सभी पाठ पढ़ाती है।

मां अपने बच्चों की है ढाल

मां करुणा, ममतामयी के साथ ही जरूरत पड़ने पर मां दुर्गा का भी रूप धारण कर लेती है। मां अपने बच्चों के लिए कुछ भी कर गुजरती है। अगर बच्चा भूखा हो तो पहले उसके खाने के इंतजाम करती है, ना कि अपने पेट भरने का। मां से संबंधित कई फिल्में भी बन चुकी है जिसमें सबसे ज्यादा चर्चित रही मदर इंडिया। मां बच्चे को सिर्फ शारीरिक ही नहीं मानसिक भी हिम्मत देती है। वो उसे इस दुनिया से लड़ना सीखाती है। बुरे समय में भी डटकर खड़े रहने की शक्ति देता है।

दुनिया में कई ऐसे उदाहरण है जिसे पता चलता है कि मां घर को पाल सकती है तो वो अच्छी बैंकर, डाॅक्टर, प्रधानमंत्री बनकर देश को भी चला सकती है। मदर्स डे हमेशा मई के दूसरे रविवार को मनाया जाता है। कोरोना के चलते इस समय देश में लाॅकडाउन है। इस लाॅकडाउन में डाॅक्टर हो या पुलिस हर कोई देश सेवा में लगा है। इस देश सेवा के साथ वो माएं अपने घर और बच्चों का भी ख्याल रख रही है। इस तपती धूप में भी सेवाएं दे रही है।

मदर्स डे का इतिहास पुराना

दरअसल, मदर्स डे बनाने का इतिहास काफी पुराना है। 16वीं सदी में इंग्लैण्ड का ईसाई समुदाय ईशु की मां मदर मेरी को सम्मानित करने के लिए यह त्योहार मनाने लगा। मदर्स डे मनाने का मूल कारण समस्त माओं को सम्मान देना और एक शिशु के उत्थान में उसकी महान भूमिका को सलाम करना है। इस दिन को आधिकारिक बनाने का निर्णय पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति वूडरो विलसन ने 8 मई, 1914 को लिया। 8 मई, 1914 में अन्ना की कठिन मेहनत के बाद तत्कालीन अमरीकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाने और माँ के सम्मान में एक दिन के अवकाश की सार्वजनिक घोषणा की। मदर्स डे पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी ट्वीट कर सभी माओं को बधाई दी है।

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