दा एंगल।
मुंबई ।
फिल्म अभिनेता सोनू सूद द्वारा इंसानियत की खातिर मुंबई और उसके आसपास के मजदूरों को उनके घर पहुंचाने में मदद की थी। इस पर अब भाजपा और शिवसेना आमने सामने आ गई है। शिवसेना को सोनू सूद की तारीफ रास नहीं आ रही है। उनका मानना है कि मजदूरों को घर पहुंचाने के मामले में केन्द्र और राज्य सरकार नाकाम रही है। लॉकडाउन के दौरान मुंबई और उसके आसपास के इलाकों में फंसे प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने को लेकर सोनू सूद की देशभर में जमकर तारीफ हुई लेकिन महाराष्ट्र में सत्ताधारी शिवसेना के नेता और सांसद संजय राउत को यह प्रशंसा रास नहीं आ रही है। उन्होंने शिवसेना के मुखपत्र सामना में महात्मा सूद की तारीफ पर सवाल उठाते हुए कहा कि कितनी चतुराई के साथ किसी को एक झटके में महात्मा बनाया जा सकता है।
शिवसेना ने सोनू सूद पर साधा निशाना
संजय राउत ने सोनू सूद के कामों की तारीफ पर निशाना साधते हुए अपने कॉलम रोखटोक में कहा कि लॉकडाउन के दौरान अचानक सोनू सूद नाम से नया महात्मा तैयार हो गया। इतने झटके और चतुराई के साथ किसी को महात्मा बनाया जा सकता है। उन्होंने आगे लिखा कि कहा जा रहा है कि सोनू सूद ने लाखों प्रवासी मजदूरों को दूसरे राज्यों में उनके घर पहुंचाया। अर्थात् केंद्र और राज्य सरकार ने कुछ भी नहीं किया। इस कार्य के लिए महाराष्ट्र के राज्यपाल ने भी महात्मा सूद को शाबाशी दी।
बीजेपी ने की जमकर आलोचना
राउत के इस बयान पर बीजेपी नेता रामकदम ने उनकी जमकर आलोचना की है। उन्होंने इस बहाने महाराष्ट्र में सत्ताधारी शिवसेना और महाविकास अघाडी गठबंधन पर भी निशाना साधा। रामकदम ने कहा कि कोरोना के संकट काल में इंसानियत के नाते सड़क पर उतरकर मजदूरों की सहायता करने वाले सोनू सूद पर संजय राउत का बयान दुर्भाग्यपूर्ण है। उनकी खुद की सरकार कोरोना से निपटने में नाकाम हो गई। यह सच्चाई सोनू सूद पर आरोप लगाकर छिप नहीं सकती। उन्होंने कहा कि जिस काम की सराहना करने की आवश्यकता है, उस पर भी आरोप।