दा एंगल।
नई दिल्ली।
भारत और चीन के मध्य सीमा विवाद गहराते विवाद के बीच रेलवे ने एक बड़ा फैसला किया है। देश में हर तरफ चीन को लेकर काफी आक्रोश है। हर कोई देशवासी आज सरकार से पूछता है कि वो चीन से कब बदला लेगा। भारतीयवासियों ने चीन को झटका देना शुरू कर दिया है। अब हर हिन्दुस्तानी ने चीनी सामान का बहिष्कार करना शुरू कर दिया है।
भारत-चीन के बीच सीमा विवाद, रेलवे का बड़ा फैसला
भारत-चीन के बीच सीमा विवाद और तनाव के बीच सरकार ने एक और बड़ा फैसला लिया है। इस बार फैसला रेलवे मंत्रालय ने लिया है। रेलवे उपक्रम डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कारपोरेशन लिमिटेड ने चीनी फर्म बीजिंग नेशनल रेलवे रिसर्च एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट ऑफ सिग्नल एंड कम्युनिकेशन कंपनी लिमिटेड के साथ चल रहे कॉन्ट्रैक्ट को रद्द कर दिया है। दरअसल, इस चीनी कंपनी को कानपुर से दीन दयाल उपाध्याय रेलवे सेक्शन के बीच 417 किमी के सेक्शन में सिग्नलिंग और टेलीकॉम का काम दिया गया था। ये काम 471 करोड़ रुपये का था। जून 2016 में ये काम इस चीनी फार्म को कॉन्ट्रैक्ट के तहत दिया गया था। लेकिन रेलवे के मुताबिक, कॉन्ट्रैक्ट दिए जाने के 4 साल बीत जाने पर भी अभी तक सिर्फ 20 फीसद काम ही चीनी कंपनी कर पाई थी। काम बेहद धीमी गति से किया जा रहा था।
धीमी गति से हो रहा था काम
रेलवे की तरफ से कहा गया है कि इस काम देरी की पूरी संभावना है, क्योंकि कंपनी ने अभी तक किसी भी लोकल एजेंसी के साथ किसी तरह का कोई करार नहीं किया है। ऐसे में कामकाज में तेजी कैसे आत सकती है। रेलवे का यह भी कहना है कि इस बाबत कई बार कंपनी के अधिकारियों संग बैठक हुई, जिसमें उनसे इन समस्याओं के बारे में बार-बार अवगत कराया गया। इसके बावजूद उन्होंने इसपर ध्यान नहीं दिया।
इससे पहले भारत सरकार के दूरसंचार विभाग ने भी यह फैसला किया था कि बीएसएनएल के 4ळ इक्विपमेंट को अपग्रेड करने के लिए चीनी सामान का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। मंत्रालय ने बीएसएनएल से कहा है कि सुरक्षा कारणों के चलते चीनी सामान का इस्तेमाल नहीं किया जाए। विभाग ने इस संबंध में टेंडर पर फिर से काम करने का फैसला किया है।विभाग निजी मोबाइल सेवा ऑपरेटरों से चीनी कंपनियों द्वारा बनाए गए उपकरणों पर उनकी निर्भरता को कम करने के लिए भी विचार कर रहा है।