द एंगल।
जयपुर।
एक बच्चे के जीवन में माता-पिता की भूमिका उसके जन्म के साथ ही शुरू हो जाती है। यानी एक पैरेंट की भूमिका बच्चे के जन्मदाता, पालक, रक्षक, हितैषी और मार्गदर्शक की होती है। लेकिन बात जब केवल पिता की हो तो वह अपने बच्चों के लिए ताउम्र एक सर्वश्रेष्ठ दोस्त, महत्वपूर्ण सलाहकार और सबसे भरोसेमंद मददगार की भूमिका निभाते हैं। हालांकि समय के साथ परिस्थितियों ने भी रचनात्मक करवट ली है।
पिता पर भारी पड़ने लगी है आज के दौर की युवा पीढ़ी
आज-कल के बच्चे ख़ासकर युवा पीढ़ी अपने पिता पर भारी पड़ने लगी है। दरअसल टेक्नोलॉजी के इस नए युग में बहुत से मां-बाप असुविधाजनक महसूस करते हैं। लेकिन आज-कल के युवाओं की तेज-तर्रार सोच ने अपने साथ-साथ अपने पैरेंट्स की जिंदगी को भी फास्टट्रैक बना दिया है। इंटरनेट और ऐप्लिकेशन से दौड़ते इस समाज में कदमताल के लिए बच्चे अपने पैरेंट्स खासकर पिता के राइट हैंड बन गए हैं।
मां-पिता के गुरु बन गए हैं आज के बच्चे
देश की प्रमुख पब्लिक रिलेशन संस्था पीआर24×7 के फाउंडर अतुल मलिकराम बताते हैं कि पिता के गोद की वो गर्माहट और सुकून भरी दुनिया से बाहर निकलकर नई पीढ़ी उनके लिए टेक्निकल सुरक्षा कवच बनती जा रही है। मोबाइल का इस्तेमाल हो या हवाई जहाज की सैर, हर छोटी बड़ी चीज में बच्चे मां बाप के मॉडर्न गुरु बन गए हैं। बेटा हो या बेटी, पापा को क्लासी पापा बनाने और दो पीढ़ी की सोच में तालमेल बिठाने के मामले में आज के बच्चे काफी आगे निकल गए हैं। और हर चीज को मैनेज करने में माहिर हो गए हैं।
इस फादर्स डे के मौके पर संस्था ने #supportingdigitallifestyle कैम्पेन की शुरुआत की है। इसके तहत आप अपने बच्चों से जुडी कोई भी तस्वीर, स्टोरी या यादगार किस्सा शेयर कर सकते हैं। सबसे बेहतर कंटेंट को डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर शेयर किया जाएगा।